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This Article is From May 01, 2020

प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के मामले में कांग्रेस 'हमलावर', कहा-गृह मंत्रालय का अनुमति पत्र मजाक जैसा..

कांग्रेस (Congress) प्रवक्‍ता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा कि प्रवासी मज़दूरों को वापस घर भेजने संबंधी गृह मंत्रालय का अनुमति पत्र एक मज़ाक जैसा है. सरकार को यही पता नहीं है कि इन मज़दूरों की तादाद कितनी है.

प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के मामले में कांग्रेस 'हमलावर', कहा-गृह मंत्रालय का अनुमति पत्र मजाक जैसा..
कांग्रेस ने प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के मामले में सरकार पर निशाना साधा है
नई दिल्ली:

कांग्रेस ने विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को घर भेजने की व्यवस्था करने से जुड़े केंद्र के दिशानिर्देश को ‘तुगलकी फरमान' करार देते हुए शुक्रवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने श्रमिकों के साथ क्रूर मजाक किया है और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है.  पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मजदूरों को वित्तीय सहायता देने का भी केंद्र से अनुरोध किया.  उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘29 अप्रैल को जारी केंद्र के आदेश में प्रवासी श्रमिकों को उनके घर भेजने की अनुमति दी गई है. इसमें कहा गया है कि उन्हें बसों से भेजा जाए। लेकिन यह नहीं बताया गया कि केंद्र सरकार क्या करेगी ? इसलिए, मैं इसे तुगलकी फरमान कहता हूं. यह एक क्रूर मजाक है.''सिंघवी ने दावा किया कि इससे मजदूरों के प्रति केंद्र सरकार का रवैया प्रदर्शित होता है. 

उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ट्रेन चलाई जानी चाहिए क्योंकि इसमें सामाजिक दूरी का पालन करना आसान होगा और समय की भी बचत होगी. कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार यदि चाहे तो मजदूरों को भेजने के लिए विशेष विमानों की व्यवस्था भी कर सकती है. उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि मजदूरों की मदद के लिए केंद्र सरकार वित्तीय सहायता दे। यह वक्त की जरूरत है.'' सिंघवी के मुताबिक अमेरिका और मलेशिया सरीखे देश अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक बड़ा हिस्सा लोगों को इस संकट से उबारने पर खर्च कर रहे हैं, लेकिन भारत में ऐसा नहीं हो रहा है. 

कांग्रेस प्रवक्‍ता सिंघवी ने कहा कि बिहार का अनुमान है कि 25 से 27 लाख मज़दूर वापस लौटेंगे जबकि राजस्थान का अनुमान दो से तीन लाख लोगों का है. इसी तरह गुजरात से 7 से 10 लाख का अनुमान है. असम का अंदाज़ा 1 से 5लाख और उड़ीसा जैसे राज्‍य का 10 लाख लोगों का है. केरल और पंजाब को चार-चार लाख लोगों की उम्मीद हैं.उत्‍तरप्रदेश में हेल्पलाइन में एक दिन में एक लाख लोगों ने रजिस्टर किया. दिल्ली में यह फिगर 10 लाख से ज़्यादा का है. उन्‍होंने कहा कि कुल मिलाकर केंद्र सरकार को इस बात का अनुमान ही नहीं है कि मजदूरों की तादाद कितनी है. बिना इस अनुमान के कैसे ये तय कैसे किया गया कि यह सिर्फ़ बसों में जा सकते हैं क्या इसमें वे 3 साल लगाने वाले हैं. उन्‍होंने सवालिया लहजे में पूछा कि लॉकडाउन के 45 दिन बाद सरकार क्‍या क्या ये समाधान लेकर आयी है? मज़दूरों को अनाथ छोड़ दिया है बसों और राज्‍यों के भरोसे छोड़ दिया गया है.उन्‍होंने कहा कि विदेशों में फंसे से भारतीयों को लाने के लिए भी योजना बनाकर काम होना चाहिए.

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