यह ख़बर 11 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

अमित शाह के खिलाफ यूपी पुलिस की चार्जशीट को कोर्ट ने लौटाया

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (फाइल फोटो)

मुजफ्फरनगर:

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा तैयार की गई चार्जशीट को स्थानीय अदालत ने लौटा दिया है। अदालत ने चार्जशीट में आवश्यक सूचनाएं नहीं होने के कारण इसे अधूरा मानते हुए लौटा दिया। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम) ने जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि वह तथ्यों की कमी को पूरा कर चार्जशीट को दोबारा पेश करे।

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुंदर लाल ने अमित शाह के खिलाफ चार्जशीट का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया, क्योंकि पुलिस ने आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (2) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया था। इसके तहत अदालत में आरोपपत्र दाखिल करने से पहले आरोपी को गिरफ्तार करने का प्रयास करना होता है।

अदालत ने कहा कि पुलिस ने आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (2) के प्रावधानों के तहत वारंट या कुर्की प्रक्रिया का आग्रह नहीं किया। अदालत ने त्रुटि हटाने के लिए आरोपपत्र लौटाते हुए कहा कि पुलिस भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत आरोपपत्र दाखिल नहीं कर सकती, क्योंकि इसे संबंधित अधिकारी की ओर से एक निजी शिकायत के रूप में दाखिल करना होगा जिसने निषेधाज्ञा लागू की और जिसका उल्लंघन हुआ।

अमित शाह के खिलाफ लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अप्रैल में मुजफ्फरनगर में दिए भड़काऊ भाषण के मामले में पुलिस ने यह चार्जशीट तैयार की थी। पुलिस ने अमित शाह द्वारा दिए गए भाषण के वीडियो क्लिप के आधार पर चार्जशीट तैयार की थी।

धर्म, नस्ल, जाति और समुदाय के आधार पर वोट मांगने को लेकर शाह के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 (3) के तहत तथा सरकारी सेवक के आदेश की अवज्ञा करने से जुड़ी आईपीसी की धारा 188 के तहत चार्जशीट दाखिल की गई थी। पुलिस ने चुनाव आयोग के निर्देश पर अमित शाह के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन का मामला दर्ज किया था। आयोग ने 4 अप्रैल, 2014 को शाह पर उत्तर प्रदेश में प्रचार करने से रोक भी लगा दी थी।

गौरतलब है कि अमित शाह उस समय विवादों में आ गए थे, जब उन्होंने कथित रूप से कहा था कि 2014 का लोकसभा चुनाव पिछले साल उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के 'अपमान का बदला' लेने का एक अवसर है। शाह की 'बदला' वाली टिप्पणी पर ध्यान देते हुए चुनाव आयोग ने उन्हें आचार संहिता के प्रथम दृष्टया उल्लंघन के लिए नोटिस जारी किया था।

शाह ने आचार संहिता के उल्लंघन से इनकार करते हुए चुनाव आयोग से कहा था कि वह उनको जारी किए गए नोटिस पर पुनर्विचार करे। उन्होंने कहा था कि उनकी टिप्पणियों को सही परिप्रेक्ष्य में नहीं लिया गया। बाद में उन पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया गया था।

(इनपुट भाषा से भी)


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