यह ख़बर 06 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

अदालत ने किया सवाल, नींद से कब जागोगे...?

खास बातें

  • पीठ ने टिप्पणी की कि आप दंड नहीं मिलने के चलते हमारे आदेशों के अनुपालन की जानबूझकर अवहेलना कर रहे हैं। आप कब गहरी नींद से जागेंगे।
नई दिल्ली:

आंध्र प्रदेश और उड़ीसा के बीच अंतरराज्यीय जल विवाद का निपटारा करने के लिए न्यायाधिकरण का गठन करने के अदालती आदेश का बार-बार उल्लंघन होने की आलोचना करते हुए उच्चतम न्यायालय ने सवाल किया कि सरकार गहरी नींद से कब जागेगी। न्यायमूर्ति अलतमास कबीर, न्यायमूर्ति एसएस निज्जर और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की तीन सदस्यीय पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा दंड के भय के बिना शीर्ष अदालत के आदेश का उललंघन करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार के लिहाज से ऐसा करना उचित नहीं है। पीठ ने टिप्पणी की कि आप दंड नहीं मिलने के चलते हमारे आदेशों के अनुपालन की जानबूझकर अवहेलना कर रहे हैं। आप कब गहरी नींद से जागेंगे। आपको जागने के लिए क्या चाहिए। हम लगातार आदेश जारी करते आए हैं। सिर्फ हलफनामे और जवाब दाखिल करने का क्या अर्थ है। केंद्र सरकार से यह अपेक्षित नहीं है। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा दाखिल अर्जी पर की जिसमें केंद्र पर बंसधारा जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन करने के अदालती आदेश की अवमानना करने का आरोप लगाया गया है। राज्य की ओर से हाजिर वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने दलील दी कि बार-बार के दिशा-निर्देशों के बावजूद केंद्र इस न्यायाधिकरण के लिए जरूरी स्थान और बुनियादी संरचना मुहैया कराने में नाकाम रहा।


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