प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही अपने सचिवों और अफसरों से बिना डरे काम करने को कहा हो लेकिन सवाल है कि क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदारी से लड़ रहे लोगों की राह आसान है? ताज़ा मामला मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) का है। यहां के मुख्य सतर्कता अधिकारी यानी सीवीओ ने अपनी जान और करियर को खतरा बताया और कहा कि वो एक बड़ी ताकतवर लॉबी के सामने अकेला पड़ गया है। लेकिन केंद्र सरकार ने न उन्हें संरक्षण दिया और न उनसे आरोपों पर कोई गंभीर कार्रवाई की।
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भ्रष्टाचार की परतें खोल रहे इस अफसर को संरक्षण देने और उसका हौसला बढ़ाने के बजाय 10 अक्टूबर को इस अधिकारी की जगह नए अफसर की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करा दी।
कहानी पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुई। जब ऑर्डिनेंस विभाग के अधिकारी एच के जेठी की नियुक्ति एमसीआई में बतौर सीवीओ की गई। ये बताने की ज़रूरत नहीं कि भ्रष्टाचार के मामलों में एमसीआई कितनी बदनाम रही है। केंद्र सरकार और सीवीसी को लिखी अपनी चिट्ठियों में जेठी एमसीआई की प्रेसिडेंट जयश्रीबेन मेहता पर दबाव डालने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हैं। वह कहते हैं कि संस्थान के भीतर एक भ्रष्ट लॉबी है जिसके आगे वो असहाय महसूस कर रहे हैं।
एनडीटीवीखबर.कॉम के पास सीवीओ की केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखी चिट्ठी की एक कॉपी है जिसमें एमसीआई के सीवीओ एच के जेठी ने मंत्रालय को लिखा है -
- मैंने पहले ही ये डर जताया था कि एमसीआई में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने के लिए मुझे कानूनी और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा सकता है। हालात अब भी सुधरे नहीं हैं बल्कि और खराब हो रहे हैं। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की अध्यक्ष यहां विजिलेंस विभाग के कामकाज को नष्ट करने के लिए हर तरह के दबाव का इस्तेमाल कर रही हैं। ऐसे हाल में मैं डरा हुआ हूं। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में मेरे सामने एक मज़बूत लॉबी है और मैं यहां इस लड़ाई में बिल्कुल अकेला और असहाय महसूस कर रहा हूं। मेरे सामने अभी लंबा करियर पड़ा है और मैं उसे खतरे में नहीं डालना चाहता क्योंकि मेरे चारों ओर का वातावरण मुझ से गलत काम करवा सकता है। मुझे मेरे मूल काडर वापस भेज दिया जाए।
किसी भी संस्थान में सीवीओ का काम होता है भ्रष्टाचार पर नज़र रखना। दस्तावेज़ बताते हैं कि जेठी एमसीआई की प्रेसिडेंट जयश्रीबेन मेहता को लगातार उन मामलों की लिस्ट भेज रहे थे जिनकी जांच होनी चाहिए।
दस्तावेज़ बताते हैं कि एमसीआई में
- गैरकानूनी तरीके से स्टाफ की नियुक्ति
- फर्जी़ दस्तावेज़ों के आधार पर भरती
- सीवीओ पर एमसीआई प्रेसिडेंट की ओर से दबाव डालने की कोशिश शामिल है
- इसके अलावा गैरकानूनी तरीके से पोस्ट बनाना
- हवाई यात्रा के टिकटों को लेकर हो रही हुई धांधली
- वित्तीय नियमों की अनदेखी कर खरीदारी भी शामिल है
मंत्रालय की ओर से सीबीआई को भेजे गए पत्र से भी इस बात की पुष्टि होती है कि जांच कराने के बजाय एमसीआई की अध्यक्ष इन मामलों पर चुप्पी साधे रही.. इससे सीवीओ जेठी का हौसला टूटता गया।
जेठी कहते हैं उन्हें जान का खतरा महसूस होने लगा। 6 महीने के भीतर ही जेठी इतना परेशान हो गए कि उन्होंने सरकार से कहा कि उन्हें संरक्षण नहीं मिल सकता तो एमसीआई से हटाकर वापस अपने काडर ऑर्डिनेंस विभाग में भेज दिया जाए।
जेठी ने जब अपनी जान को खतरा बताया तो सीवीसी ने मंत्रालय से अधिकारी को संरक्षण देने और एमसीआई से पूछताछ करने को कहा। सीवीसी ने ये भी कहा कि किसी भी सतर्कता अधिकारी का खयाल रखना मंत्रालय की ज़िम्मेदारी है और अगर ज़रूरी हो तो एच के जेठी के दिल्ली पुलिस का संरक्षण दिया जाए। लेकिन बीती 10 अक्टूबर को स्वास्थय मंत्रालय ने कार्मिक मंत्रालय को पत्र लिख कहा है कि सीवीओ एच के जेठी वापस अपने मूल काडर में जाना चाहते हैं इसलिए उनकी जगह नए अधिकारियों का नया पैनल भेजा जाए।
एनडीटीवीखबरडॉटकॉम की ओर से भेजे गए सवालों के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा -
- इस अधिकारी ने 29 अप्रैल 25 अगस्त और 1 अक्टूबर को पत्र लिखकर कहा था कि उसे अपने पेरेंट काडर में वापस भेज दिया जाए। उसके बाद कार्मिक मंत्रालय से इस पर अमल करने को कहा गया है और एच के जेठी की जगह सीवीओ के लिए नया पैनल मांगा गया है .. एमसीआई में सुधार के लिए और एमसीआई एक्ट 1956 में बदलाव के लिए क्या किया जा सकता है इसके लिए सरकार ने एक एक्सपर्ट पैनल भी बनाया है।
एनडीटीवीखबरडॉटकॉम ने एमसीआई की अध्यक्ष जयश्रीबेन मेहता से भी सवाल पूछे जिन्होंने कहा कि ये आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद है। एमसीआई के सीवीओ के ओर से लगाए गए आरोप एग्ज्क्यूटिव कमेटी के सामने रखे गए और जेठी से और जानकारी और तथ्य मांगे गए लेकिन जेठी ने कभी भी तथ्य मुहैया नहीं कराए। एमसीआई की अध्यक्ष मेहता कहती है कगि जेठी को वापस उनके पेरेंट काडर में भेजे जाने का उनसे कुछ लेना देना नहीं है। सीवीओ जेठी विजिलेंस मेन्युअल के हिसाब से काम नहीं कर रहे थे और जब उनसे नियमों के तहत काम करने को कहा गया तो वह झूठा प्रचार करने लगे।
इसके बावजूद कुछ सवाल खड़े होते हैं। मंत्रालय के सीवीओ विश्वास मेहता की ओर से सीबीआई को लिखी चिठ्ठी में साफ कहा है कि एमसीआई की अध्यक्ष का रवैया तानाशाही भरा है और एमसीआई में हालात खराब होते जा रहे हैं।
इसके अलावा सीवीसी ने एमसीआई में उठे मामलों की जांच कराने और सीवीओ को पूरी सहायता, ज़रूरी स्टाफ और पुलिस संरक्षण देने को कहा है। सीवीसी ने ये सवाल भी किया है कि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में देरी क्यों हो रही है।
महत्वपूर्ण बात ये है कि सीवीसी की ताज़ा चिट्ठी मंत्री के उस आदेश के बाद लिखी गई है जिसमें स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्मिक मंत्रालय विभाग से जेठी की जगह अधिकारी नियुक्त करने के लिए पैनल मांगा है।
यानी सीवीसी एच के जेठी को हटाने के पक्ष में नहीं है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका का संज्ञान लेते हुए एमसीआई में भ्रष्टाचार के मामलों पर केंद्र सरकार और एमसीआई को नोटिस जारी किया है।
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