Reverse Repo Rate में कटौती, कोरोनावायरस से जूझ रही अर्थव्यवस्था के लिए आरबीआई के 5 बड़े ऐलान

रिवर्स रेपो रेट : भारतीय रिजर्व बैंक (RB) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते रिजर्व बैंक आर्थिक हालात पर लगातार नजर रखे हुये है और वह आर्थिक तंत्र में पर्याप्त नकदी बनाये रखने के लिये हर संभव कदम उठायेगा.

Reverse Repo Rate में कटौती,  कोरोनावायरस से जूझ रही अर्थव्यवस्था के लिए आरबीआई के 5 बड़े ऐलान

Reverse Repo Rate में 0.25 प्रतिशत कटौती की कटौती की गई है

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RB) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते रिजर्व बैंक आर्थिक हालात पर लगातार नजर रखे हुये है और वह आर्थिक तंत्र में पर्याप्त नकदी बनाये रखने के लिये हर संभव कदम उठायेगा. इसके साथ ही रिवर्स रेपो रेट में कटौती का ऐलान किया. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार सुबह कई घोषणायें करते हुये कहा कि कोरोना वायरस के कारण अर्थव्यवस्था पर बढ़े वित्तीय दबाव को कम करने के लिए केन्द्रीय बैंक पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा. गवर्नर ने कहा कि आरबीआई कोविड-19 के प्रकोप से पैदा होने वाले हालात पर नजर बनाए रखे हुए है. उन्होंने बताया कि मार्च में निर्यात 34.6 प्रतिशत घट गया, जो 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट की तुलना में कहीं बड़ी गिरावट को दर्शाता है. आरबीआई की घोषणाओं के बाद भारतीय रुपया शुक्रवार को दिन के कारोबार के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 45 पैसे की जोरदार बढ़त के साथ 76.42 रुपये प्रति डालर पर पहुंच गया. अर्थव्यवस्था में नगदी की उपलब्धता बढ़ाने के लिये शुक्रवार को रिजर्व बैंक की घोषणाओं के बाद रुपये में यह मजबूती दिखी है.

5 बड़ी बातें

  1. रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate) में 0.25 प्रतिशत कटौती कर उसे 3.75 प्रतिशत कर दिया. हालांकि, रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है.  रिवर्स रेपो दर घटने से बैंक अपनी नगदी को फौरी तौर पर रिजर्व बैंक के पास रखने को कम इच्छुक होंगे. इससे उनके पास नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी और वह कर्ज दे सकेंगे. इससे नगदी की लिक्वडिटी बनी रहेगी और बाजार को नगदी की कमी से नहीं जूझना पड़ेगा. 

  2. बैंकों द्वारा मौजूदा ऋणों की वापसी पर लगाई गई रोक पर 90 दिन का एनपीए नियम लागू नहीं होगा. यह भी बैंकों के लिए बड़ी राहत की बात है. 

  3. आने वाले समय में आपूर्ति पक्ष के अवरोधों के बावजूद मुद्रास्फीति और भी घट सकती है और 2020-21 की दूसरी छमाही तक यह चार प्रतिशत के उसके लक्ष्य से भी नीचे जा सकती है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति दर घटकर उसके चार प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे आ जायेगी. 

  4. राज्यों पर खर्च के बढ़े दबाव को देखते हुये उनके लिये अग्रिम की सुविधा को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. इससे राज्यों को इस कठिन समय में संसाधन उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी.

  5. RBI लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) के जरिए अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करायेगा. यह काम किस्तों में किया जायेगा. नाबार्ड, नेशनल हाउसिंग बैंक और सिडबी जैसे वित्तीय संस्थानों को लिए 50,000 करोड़ रुपये की सहायता .



(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)