Coronavirus: लॉकडाउन (Lockdown) की मार झेल रहे उद्योग संघ एसोचेम ने भारत सरकार से 200 बिलियन डॉलर यानी 15 लाख करोड़ से ज्यादा के राहत पैकेज की मांग की है. उधर अमेरिका और यूरोप में बढ़ते संकट का सबसे बुरा असर एक्सपोर्टरों पर पड़ा है जो अब जीएसटी समेत सभी टैक्सों पर छह महीने की राहत की मांग कर रहे हैं.
एक्सपोर्ट कारोबार ठप होने की वजह से कालीन निर्यात करने वाले ओपी गर्ग की एक्सपोर्ट यूनिट में महंगे कालीनों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. उनके पास 95 फीसदी तक डिमांड अमेरिका और यूरोपीय बाज़ारों से आती थी लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते संकट की वजह से सब बंद है. अब वे पीएम मोदी को चिठ्ठी लिखकर राहत मांग रहे हैं.
एक्सपोर्ट बंद होने से कारपेट की इन्वेंटरी बढ़ती जा रही है. इन्वेंटरी कितनी बढ़ी है? इस सवाल पर कारपेट एक्सपोर्टर ओपी गर्ग ने कहा कि ''इस सीजन में हमारे स्टॉक में 30000 कारपेट होते हैं लेकिन कोरोना वायरस संकट की वजह से इन्वेंटरी 100 फीसदी बढ़कर 60000 कारपेट की हो गई है.'' उन्होंने कहा कि ''टैक्स से छूट नहीं चाहते, हम चाहते हैं कि छह महीने का सभी तरह के टैक्स का डेफेरमेंट हो, छह महीने तक हमसे टैक्स न लिया जाए.''
दरअसल लॉकडाउन की मार झेल रहा पूरा उद्योग जगत ही सरकार से एक बड़े राहत पैकेज की मांग कर रहा है. उद्योग संघ एसोचेम ने बुधवार को वित्त मंत्री से 200 बिलियन डॉलर यानी 15 लाख करोड़ से ज्यादा के स्टिमुलस पैकेज की मांग की. उसका कहना है कि आर्थिक संकट अप्रत्याशित है, अगले 12 से 18 महीने में ये अर्थव्यवस्था के लिए बेहद ज़रूरी है.
अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार कमज़ोर पड़ती अर्थव्यवस्था को संभालने और उद्योग जगत को राहत देने के लिए आगे क्या बड़ी पहल करती है.
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