2012 का विवादित Retrospective टैक्स कानून खत्म करेगी सरकार.
नई दिल्ली:
भारत सरकार टैक्स कंपनियों के लिए 2012 के विवादित कानून को रद्द करने की तैयारी में है. सरकार के इस कदम से वोडाफोन और केयर्न सहित 15 फर्मों को मदद मिलेगी. इस कदम को एक बड़े टैक्स सुधार के रूप में देखा जा रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस कदम से विदेशी निवेशक आश्वस्त होंगे.
जानें सरकार के इस कदम की 10 बड़ी बातें:
- नया बिल आने के बाद केयर्न, वोडाफोन और अन्य कंपनियों द्वारा जो कुछ भी सरकार को भुगतान किया गया है, वह वापस हो सकता है बिना ब्याज के. कंपनियों को मुकदमा खत्म करने और किसी नुकसान का दावा नहीं करने की गारंटी देने जैसी शर्तों को मानना पड़ सकता है.
- राजस्व सचिव तरुण बजाज ने एनडीटीवी को बताया कि "यह कहना अनुचित होगा कि हमने एयर इंडिया की संपत्ति का दावा किए जाने के दबाव में ऐसा किया है... यह एक लंबी लड़ाई हो सकती है, लेकिन हमने निवेशकों के सर्वोत्तम हितों के लिए यह फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि वापस की जाने वाली राशि कुल मिलाकर लगभग 8000 करोड़ रुपये होगी.
- यह कदम तब देखने को मिला जब वोडाफोन अपने मार्केट कैप में तेज गिरावट से जूझ रहा है. कुमार मंगलम बिड़ला ने कल बुधवार को एक पत्र में कर्ज में डूबी दूरसंचार कंपनी की अपनी 27 फीसदी हिस्सेदारी सरकार को देने की पेशकश की थी. बिड़ला ने कल ही वोडाफोन बोर्ड छोड़ने का फैसला लिया है.
- पिछले साल, केयर्न और वोडाफोन ने रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालतों में मुकदमा दायर किया था, जिसमें भारत हार गया था. नीदरलैंड में अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाया कि भारत को "कर देयता, ब्याज या दंड" की वसूली के लिए कोई और प्रयास नहीं करना चाहिए. भारत ने इन आदेशों के खिलाफ अपील की है.
- 2007 में हचिसन व्हामपोआ से कंपनी द्वारा भारतीय मोबाइल संपत्ति के 11 बिलियन डॉलर के अधिग्रहण के बाद सरकार ने वोडाफोन से टैक्स के रूप में ₹ 22,000 करोड़ की मांग की है.
- सितंबर में, ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाया कि टैक्स ने भारत और नीदरलैंड के बीच एक निवेश संधि का उल्लंघन किया और कहा कि सरकार को कानूनी लागत के आंशिक मुआवजे के रूप में कंपनी को ₹ 40 करोड़ से अधिक का भुगतान करना चाहिए.
- ब्रिटिश तेल प्रमुख केयर्न एनर्जी के साथ विवाद में ट्रिब्यूनल ने दिसंबर में फैसला सुनाया कि भारत की रेट्रस्पेक्टिव मांग के रूप में $ 1.2 बिलियन की मांग यूके-भारत द्विपक्षीय संधि के साथ "असंगत" थी. ट्रिब्यूनल ने सरकार से कंपनी को 1.2 अरब डॉलर (करीब 8,800 करोड़ रुपये) का भुगतान करने को कहा.
- केयर्न एनर्जी अब मुआवजे की राशि वसूल करने के लिए अमेरिका से लेकर सिंगापुर तक के देशों में भारतीय संपत्तियों को लक्षित करने की योजना बना रही है.
- मई में, केयर्न ने न्यूयॉर्क की एक अदालत में एयर इंडिया पर मुकदमा दायर कर उसकी संपत्ति को जब्त करने के लिए 1.2 अरब डॉलर का मध्यस्थता अवॉर्ड जीता था.
- पिछले महीने, एक फ्रांसीसी अदालत ने केयर्न की तर्ज पर एक याचिका के जवाब में, फ्रांस में कम से कम 20 भारतीय स्वामित्व वाली संपत्तियों पर रोक लगाने का आदेश दिया, जिनकी कीमत लगभग ₹ 177 करोड़ थी.