यह ख़बर 02 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

रॉबर्ट वाड्रा का बचाव करते हुए कांग्रेस ने कहा, किसी के पीछे पड़े रहना उचित नहीं

राबर्ट वाड्रा की फाइल तस्वीर

नई दिल्ली:

सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का समर्थन करते हुए कांग्रेस ने रविवार को कहा कि बार-बार किसी व्यक्ति के पीछे पड़ना उचित नहीं है और मीडिया को निजी समारोहों में सवालों की अप्रिय तरीके से बौछार करने से बचना चाहिए जैसा कि वाड्रा के साथ हुआ।

पार्टी ने कहा कि मीडिया के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी नोंक-झोंक हुई है जब वह मुख्यमंत्री थे और वाड्रा मामले में पूरे घटनाक्रम को कुछ कारणों से राजनीतिक एजेंडा के तौर पर पेश किया जा रहा है जिसे न तो निष्पक्ष कहा जा सकता है और न ही उचित।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 'भारतीय संविधान और हमारे स्थापित लोकाचार सभी लोगों को निजता का अधिकार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आजादी देते हैं और ऐसा तब और भी ज्यादा होता है जब कोई व्यक्ति न तो सार्वजनिक जीवन में है और न ही किसी सार्वजनिक पद पर है।'

उन्होंने कहा, 'निजी समारोहों में अप्रिय तरीके से बार-बार सवाल पूछने, जैसा कि रॉबर्ट वाड्रा के साथ कल हुआ, से हमेशा बचना चाहिए।'

सुरजेवाला ने कहा कि किसी मुद्दे पर बार-बार किसी व्यक्ति के पीछे पड़ना उचित नहीं है जिस मुद्दे को चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक निकाय ने और उच्च न्यायालयों तथा अंतत: उच्चतम न्यायालय ने भी निर्णायक रूप से खारिज कर दिया है।

वाड्रा कल एक पांच सितारा होटल की जिम में हरियाणा में अपने विवादास्पद जमीन सौदों के बारे में पूछे गए एक संवाददाता के सवाल पर नाराज हो गए और खबरों के मुताबिक उन्होंने संवाददाता के माइक को गिरा दिया था।

घटनाक्रम का वीडियो टीवी चैनलों पर प्रसारित हुआ था जिसमें वाड्रा को नाराजगी जाहिर करते हुए देखा गया।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि वाड्रा के खिलाफ भाजपा के एक समर्थक की जनहित याचिका को खारिज करते हुए उच्चतम न्यायालय ने भी कहा था, 'हम किसी की छवि महज इसलिए नहीं खराब होने देंगे क्योंकि वह किसी नेता से संबंधित है। आप उन्हें पापी नहीं कह सकते।'

कांग्रेस द्वारा जारी बयान में प्रवक्ता ने कहा, 'मैं भाजपा के नेताओं और मीडिया के दोस्तों को याद दिलाना चाहता हूं कि मौजूदा प्रधानमंत्री (और तत्कालीन मुख्यमंत्री) नरेंद्र मोदी ने किस तरह जानेमाने पत्रकार करण थापर के साथ पहले से तय इंटरव्यू को छोड़ दिया था और माइक हटा दिया था जिन्होंने उनसे गुजरात दंगों के बारे में सवाल पूछ लिए थे।'

उन्होंने गुजरात दंगों के बारे में ऐसे ही सवाल पूछने पर दो वरिष्ठ पत्रकारों के साथ मोदी के बर्ताव का भी जिक्र किया।

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सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा-संघ और शिवसेना से जुड़े तत्वों ने कई मौकों पर दिल्ली और मुंबई में समाचार मीडिया संस्थानों के दफ्तरों पर बिना किसी वजह या बिना किसी उकसावे के हमले किए हैं।