यह ख़बर 03 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

तमिलनाडु में भी कांग्रेस मुश्किल में, वासन ने दिया इस्तीफा

नई दिल्ली:

इसी साल मई में हुए लोकसभा चुनाव तथा उसके बाद एक के बाद एक सभी विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामना करती आ रही कांग्रेस की मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं, और संकटों के इस दौर में ताजातरीन समस्या पैदा हुई है तमिलनाडु में, जहां पार्टी के शीर्ष नेताओं में से एक जीके वासन ने न सिर्फ पार्टी से इस्तीफा दे दिया है, बल्कि अपने पिता द्वारा वर्ष 1996 में स्थापित की गई तमिल मानिला कांग्रेस को री-लॉन्च करने की भी घोषणा कर दी है।

49-वर्षीय जीके वासन केंद्र की पिछली यूपीए सरकार में मंत्री थे, तथा अन्य बहुत-से पार्टी नेताओं की तरह उन्हें भी लोकसभा चुनाव 2014 में हार का सामना करना पड़ा था।

वासन ने संवाददाताओं से कहा, जनता विकल्प चाहती है। हम तमिलनाडु में जनता को विकल्प उपलब्ध कराना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह जिस नई पार्टी का गठन करने जा रहे हैं, उसका सम्मेलन इसी माह त्रिची में होगा और उसमें पार्टी के ध्वज तथा नाम के बारे में निर्णय लिया जाएगा। निर्वाचन आयोग में पार्टी को पंजीकृत कराने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

तमिलनाडु कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीटर अल्फोंसे, बीएस गणनादेसीकन के साथ कई अन्य नेता भी वासन के साथ जुड़ गए हैं।

वासन ने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस समिति 'हमारी अपेक्षाओं' के अनुरूप काम नहीं कर रही है और इसलिए तमिलनाडु में कांग्रेस कभी सरकार नहीं बना सकेगी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पिछले करीब 48 साल से राज्य की सत्ता में नहीं है और यहां उसका वोट मात्र पांच प्रतिशत है।

वासन ने अपनी पार्टी को लेकर कहा,  हम राज्य की उन समस्याओं को तरजीह देंगे, जिसका सामना यहां के लोग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस के दिवंगत नेताओं के कामराज और जीके मूपनार की विचारधारा के आधार पर काम करेगी।

एक सवाल के जवाब में वासन ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने सभी 39 लोकसभा सीटों पर पार्टी के लिए प्रचार किया।

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इस बीच, तमिलनाडु कांग्रेस के अध्यक्ष ईवीकेएस एलांगोवन ने कहा कि वासन के जाने से पार्टी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(इनपुट्स एजेंसी से भी)