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कांग्रेस के दो केंद्रीय मंत्रियों ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के संदर्भ में 'यदि मैं दोषी पाया जाता हूं तो मुझे फांसी पर लटका दो' के बयान की आलोचना करते हुए इसे 'निंदनीय व गैर-जिम्मेदाराना' करार दिया है।
उर्दू साप्ताहिक नई दुनिया को साक्षात्कार में मोदी ने ये बातें कहीं। मोदी पर गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी, 2002 को अयोध्या से लौट रही रेलगाड़ी में अग्निकांड से 57 कारसेवकों के मारे जाने के बाद गुजरात में भड़के दंगों को मौन समर्थन देने का आरोप है।
मोदी के बयान की निंदा करते हुए केंद्रीय कॉरपोरेट मामलों के मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने कहा कि दोषी और उनके खिलाफ कार्रवाई के बारे में न्यायालय को निर्णय लेना है।
यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी का बयान अल्पसंख्यकों को तुष्ट करने के लिए है, मोइली ने कहा, "मैं नहीं जानता कि यह बयान अल्पसंख्यकों को तुष्ट करने के लिए है या नहीं, लेकिन मैं समझता हूं कि यह बहुत निंदनीय व गैर-जिम्मेदाराना है।"
केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने मोदी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यदि गुजरात के मुख्यमंत्री अपनी छवि बदलना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि वह अपना व्यवहार व भूमिका बदलें।
खुर्शीद ने कहा, "मैं नहीं समझता कि हम 'कंगारू न्याय' में विश्वास करते हैं। देश में जो भी कानून है, जारी रहेगा। न्यायाल यही निर्णय लेगा। न्यायालय के लिए काम करने वाली एजेंसियां निर्णय लेंगी, जांच सामग्री न्यायालय के समक्ष भेजेंगी और न्यायालय निर्णय लेगा। मैं नहीं समझता कि हम सड़कों पर या मोदी स्वयं इस बारे में निर्णय ले सकते हैं।"
यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी अल्पसंख्यक समर्थक छवि बनाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं, खुर्शीद ने कहा, "यदि वह अपनी छवि बदलना चाहते हैं तो उन्हें ऐसा करने दें। लेकिन मैं समझता हूं कि उन्हें अपना व्यवहार तथा अपनी भूमिका बदलनी चाहिए। यही सबसे अच्छा होगा। छवि बदलने से कुछ नहीं होगा।"
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