पूर्व नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) विनोद राय ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कटु आलोचना करते हुए गुरुवार को कहा कि ईमानदारी केवल धन की नहीं होती, बल्कि यह बौद्धिक और पेशेवराना स्तर पर भी होती है।
पूर्व कैग ने दावा किया कि कांग्रेस नेताओं ने कैग की ऑडिट रपटों में तत्कालीन प्रधानमंत्री सिंह के नाम को बाहर रखने के लिए दबाव बनाया था।
राय ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में गठबंधन की राजनीति की भी आलोचना की और कहा कि सिंह की ज्यादा रचि केवल सत्ता में बने रहने में थी।
उल्लेखनीय है कि राय के कार्यकाल में 2-जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक आवंटन में हुए नुकसान के अनुमानों को लेकर तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार काफी दबाव में आ गई थी।
राय ने एक पत्रिका से कहा, 'ईमानदारी केवल वित्तीय मामलों में नहीं देखी जाती, यह बौद्धिक भी होती है और पेशेवराना ईमानदारी भी होती है। आपने संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली है, यह महत्वपूर्ण है।'
राय से जब पूछा गया कि पूर्व प्रधानमंत्री की सोच के बारे में उनकी धारणा क्या है, क्योंकि कई लोग उन्हें बुजुर्ग राजनेता के तौर पर सम्मान देते हैं। जवाब में राय ने कहा, 'आप राष्ट्र को सरकार के अधीन और सरकार को राजनीतिक दलों के गठबंधन के अधीन नहीं रख सकते। उस समय कहा जा रहा था कि अच्छी राजनीति, अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छी होती है पर क्या अच्छी राजनीति का मतलब सत्ता में बने रहना होता है?'
राय देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के तौर पर अपने कार्यकाल पर एक पुस्तक लिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि तत्कालीन संप्रग सरकार ने उनका फोन टैप किया और उनका मानना है कि 2-जी दूरसंचार स्पेक्ट्रम आवंटन पहले आओ पहले पाओ के आधार करने तथा कोयला खानों को बिना नीलामी के आवंटित करने के फैसले में मनमोहन सिंह की भी भागीदारी थी।
राय ने कहा, '..2-जी और कोयला मामले में सिंह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। 2-जी मामले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा ने सभी पत्र उन्हें लिखे हैं और उन्होंने उन पत्रों का जवाब दिया। मैंने उन्हें जो पत्र लिखे मुझे किसी का जवाब नहीं मिला।'
राय ने कहा, 'एक मौके पर जब मैं उनसे मिला, प्रधानमंत्री ने कहा मुझे उम्मीद है कि आप मुझसे किसी तरह के जवाब की उम्मीद नहीं करेंगे, जबकि वह राजा को दिन में दो-दो बार जवाब दे रहे थे। फिर किस तरह उन्हें उस फैसले के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता?'
राय ने 16 नवंबर 2010 की बातचीत को याद करते हुए कहा कि सिंह ने उनसे कहा कि 1.76 लाख करोड़ रुपये का 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन के नुकसान का आंकड़ा गणना का सही तरीका नहीं है। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री से कहा, 'श्रीमान ये वही तरीके हैं जो आपने हमें सिखाए हैं, यह बातचीत उस दिन विज्ञान भवन के मंच पर बैठे हुए हुई।'
रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी बेसिन गैस क्षेत्र की ऑडिट पर राय ने कहा, 'एक बातचीत में रिलायंस के बारे में प्रधानमंत्री की टिप्पणी उन पर सीधा आक्षेप नहीं है.. रिलायंस के मामले में मंत्री स्तर पर कोई फैसला नहीं किया गया।'
उन्होंने कहा कि उस समय तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी के एक या दो बयानों के अलावा उन्हें राजनीतिक या सरकारी स्तर पर कोई समर्थन नहीं मिला।
क्या उनका फोन टैप किया जा रहा था यह पूछे जाने पर राय ने कहा, '100 प्रतिशत। वास्तव में यह टैप किया जा रहा था।' वहीं एक अन्य टीवी चैनल को एक साक्षात्कार में राय ने दावा किया कि 2जी व कोयला खान आवंटन पर कैग रपटों में प्रधानमंत्री का नाम नहीं लाने के लिए संदीप दीक्षित, संजय निरूपम व अश्वनी कुमार सहित कई कांग्रेस सांसदों ने उन पर दबाव बनाने की कोशिश की।
राय ने कहा, 'यह निर्थक प्रयास था।' राय ने पूर्व नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल की भी आलोचना की है। राय के अनुसार पटेल ने 68 और विमान खरीदने के लिए एयर इंडिया बोर्ड को दरकिनार किया जबकि पहले 28 विमान खरीदे जाने थे।
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