पी चिदंबरम ने उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर PSA लगाए जाने पर कहा- 'आरोपों के बिना किसी पर कार्रवाई...'

पी चिदंबरम ने जन सुरक्षा कानून (PSA) के तहत मामला दर्ज किए जाने की आलोचना करते हुए कहा कि बिना किसी आरोप के कार्रवाई करना लोकतंत्र में एक घटिया कदम है.

पी चिदंबरम ने उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर PSA लगाए जाने पर कहा- 'आरोपों के बिना किसी पर कार्रवाई...'

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम (फाइल फोटो)

खास बातें

  • पी चिदंबरम ने ट्वीट कर जताया विरोध
  • PSAलगाया जाना घटिया कदम: चिदंबरम
  • प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट कर जताया विरोध
नई दिल्ली :

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (PSA) के तहत मामला दर्ज किए जाने की आलोचना की. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि बिना किसी आरोप के कार्रवाई करना लोकतंत्र में एक घटिया कदम है. उन्होंने ट्वीट किया, 'उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और अन्य के खिलाफ PSA की क्रूर कार्रवाई से हैरान हूं. आरोपों के बिना किसी पर कार्रवाई लोकतंत्र में सबसे घटिया कदम है.' चिदंबरम ने सवाल किया, 'जब अन्यायपूर्ण कानून पारित किए जाते हैं या अन्यायपूर्ण कानून लागू किए जाते हैं, तो लोगों के पास शांति से विरोध करने के अलावा क्या विकल्प होता है?"
 


दरअसल, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की छह महीने की ''एहतियातन हिरासत'' पूरी होने से महज कुछ घंटे पहले गुरुवार (छह फरवरी) को उनके खिलाफ जन सुरक्षा कानून (PSA) के तहत मामला दर्ज किया गया. इससे पहले दिन में नेशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव और पूर्व मंत्री अली मोहम्मद सागर और PDP के वरिष्ठ नेता सरताज मदनी पर भी PSA लगाया गया. 

किस आधार पर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ पीएसए लगाया गया है : प्रियंका गांधी

गौरतलब है कि इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (PSA ) के तहत मामला दर्ज होने को लेकर शुक्रवार को सवाल किया कि किस आधार पर दोनों नेताओं के खिलाफ इस कानून के तहत कार्रवाई की गई है. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पूर्व मुख्यमंत्री रिहाई के हकदार हैं. प्रियंका ने ट्वीट कर सवाल किया था, "किस आधार पर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ पीएसए लगाया गया है?" कांग्रेस महासचिव ने कहा, "उमर और महबूबा ने भारत के संविधान को कायम रखा, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का अनुपालन किया और कभी भी हिंसा एवं विभाजन से संबंध नहीं रखा. वे बिना किसी आधार के अनिश्चिकाल के लिए कैद में रखे जाने के नहीं, बल्कि रिहा किए जाने के हकदार हैं.'

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)