तो क्या सच में ‘महागठबंधन’ नहीं है आसान? बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस के सामने यह है बड़ी चुनौती

लोकसभा चुनाव 2019 में आम लोगों के लिहाज से भले ही अभी काफी समय है, मगर राजनीतिक पार्टियों के लिए अब जरा भी समय नहीं है.

तो क्या सच में ‘महागठबंधन’ नहीं है आसान? बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस के सामने यह है बड़ी चुनौती

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खास बातें

  • कपिल सिब्बल ने माना ‘महागठबंधन’ का प्रयास आसान नहीं.
  • कपिल ने कहा कि विपक्ष को एकजुट होना होगा.
  • मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को काम करने की जरूरत है.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019 में आम लोगों के लिहाज से भले ही अभी काफी समय है, मगर राजनीतिक पार्टियों के लिए अब जरा भी समय नहीं है. यही वजह है कि सभी राजनीतिक पार्टियां 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारियां में जुट गई है और अपनी-अपनी रणनीति को साधने की कोशिशें करने लगी हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन वाली मोदी सरकार को हराने के लिए कांग्रेस को एक मजबूत महागठंबधन की जरूरत है. क्योंकि जिस तरह के समीकरण दिख रहे हैं और सर्वे आ रहे हैं, उसके लिहाज से कांग्रेस अकेली मोदी सरकार को सत्ता से हटा दे ऐसा संभव नहीं दिखता. यही वजह है कि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस 2019 की वैतरणी पार करने के लिए महागठंबन की कवायदों में जुटी है. 

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हालांकि, महागठबंन का प्रयास इतना भी आसान नहीं होने वाला है. क्योंकि कई पार्टियों की यहां अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं. खुद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने गुरुवार को माना कि राष्ट्रीय स्तर पर ‘महागठबंधन’ का प्रयास आसान नहीं होगा. कपिल सिब्बल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए विपक्षी दलों के बीच एकता का आह्वान किया. इसका मतलब है कि कपिल सिब्बल को भी पता है कि मोदी सरकार को 2019 में सत्ता से बेदखल करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत महागठबंधन की जरूरत है, जिस पर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को काम करने की जरूरत है.

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समाचार एजेंसी पीटीआई को दिये गये इंटरव्यू में कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि सभी दलों का साथ आना सबसे सही रहेगा, लेकिन वर्तमान में लोकसभा में कम सीटों वाली कांग्रेस अपनी शर्तें नहीं रख सकती है. इसलिए उसे केन्द्र में गैर-भाजपा सरकार बनाने के लिए राज्यों में गठबंधन करने होंगे. अपनी किताब ‘शेड्स ऑफ टूथ’ के विमोचन से पहले सिब्बल ने कहा कि महागठबंधन आज कहां है? राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन बनाने का प्रयास आसान नहीं होगा. 

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महागठबंधन के प्रयास में सबसे बड़ी मुसीबत सीट बंटवारे का फॉर्मूला ही होता है. चाहे एनडीए हो या यूपीए दोनों संयुक्त मोर्चों के लिए अपने-अपने सहयोगियों को साथ लेकर चलना सबसे बड़ी चुनौती है. विभिन्न राज्यों की क्षेत्रिय पार्टियों और राष्ट्रीय पार्टियों को कैसे एक छतरी के नीचे लाया जाए, कांग्रेस इसमें शुरू से ही पारंगत रही है. मगर अभी उसके सामने चुनौती बड़ी है. क्योंकि कई नेताओं और पार्टियों की महत्वाकांक्षा हिलकोरे मार रही है. हालांकि, बीते कुछ राज्यों के चुनावों और उपचुनावों में विपक्षी एकजुटता की जो झलक देखने को मिली है, उससे ऐसा लग रहा है कि विपक्ष महागठबंधन बनाने की कोशिशों में कामयाब हो जाएगी. 

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