कांग्रेस (Congress) के नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने शनिवार को कहा कि संसद से पारित हो चुके नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू करने से कोई राज्य किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकता और ऐसा करना असंवैधानिक होगा. पूर्व कानून एवं न्याय मंत्री ने केरल साहित्य उत्सव के तीसरे दिन कहा, “जब सीएए पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि मैं उसे लागू नहीं करूंगा. यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है. आप उसका विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से (कानून) वापस लेने की मांग कर सकते हैं. लेकिन संवैधानिक रूप से यह कहना कि मैं इसे लागू नहीं करूंगा, अधिक समस्याएं पैदा कर सकता है.”
केरल सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने सीएए के साथ ही राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (NPR) का विरोध किया है.
वरिष्ठ वकील और नेता ने समझाया कि जब राज्य यह कहते हैं कि वह सीएए को लागू नहीं करेंगे तो उनका क्या मंतव्य होता है और वह ऐसा कैसे करेंगे. उन्होंने कहा कि राज्यों का कहना है कि वे राज्य के अधिकारियों को भारत संघ के साथ सहयोग नहीं करने देंगे. उन्होंने कहा, ‘‘एनआरसी, एनपीआर पर आधारित है और एनपीआर को स्थानीय रजिस्ट्रार लागू करेंगे. अब गणना जिस समुदाय में होनी है वहां से स्थानीय रजिस्ट्रार नियुक्त किए जाने हैं और वे राज्य स्तर के अधिकारी होंगे.''
#WATCH Senior Congress leader Kapil Sibal in Kozhikode, Kerala: Constitutionally, it will be difficult for any state government to say that 'I will not follow a law passed by Parliament'. #CitizenshipAmendmentAct pic.twitter.com/tNeSt5h0e5
— ANI (@ANI) January 18, 2020
सिब्बल ने कहा कि व्यावहारिक तौर पर ऐसा कैसे संभव है, यह उन्हें नहीं पता लेकिन संवैधानिक रूप से किसी राज्य सरकार द्वारा यह कहना बहुत कठिन है कि वह संसद द्वारा पारित कानून लागू नहीं करेगी. सीएए के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन को ‘‘नेता'' और ‘‘भारत के लोगों'' के बीच लड़ाई करार देते हुए 71 वर्षीय नेता ने कहा कि भगवान का शुक्र है कि देश के ‘‘छात्र, गरीब और मध्य वर्ग'' आंदोलन को आगे ले जा रहे हैं, न कि कोई राजनीतिक दल.
VIDEO : सीएए के खिलाफ केरल के बाद पंजाब ने भी बिल पारित किया
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