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This Article is From Jan 03, 2021

'तब अंग्रेज कम्पनी बहादुर था, अब मोदी-मित्र कम्पनी बहादुर हैं', किसान आंदोलन पर राहुल गांधी का तंज 

राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार अपने कॉरपोरेट मित्रों के हितों की रखवाली के लिए काम कर रहे हैं और उनके ही इशारे पर नए कृषि कानून लाए गए हैं. गांधी ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का भी विरोध किया है.

'तब अंग्रेज कम्पनी बहादुर था, अब मोदी-मित्र कम्पनी बहादुर हैं', किसान आंदोलन पर राहुल गांधी का तंज 
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
किसान आंदोलन के बहाने पीएम मोदी पर राहुल गांधी का निशाना
बोले- चंपारण जैसी स्थितियां झेल रहे देश के किसान
राहुल बोले- PM मोदी मित्रों की कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए कर रहे काम
नई दिल्ली:

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Congress Ex President Rahul Gandhi) ने किसान आंदोलन (Farmers Protest) के बहाने एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि देश में फिर से गुलाम भारत जैसी स्थितियां हैं और किसान चंपारण जैसी स्थिति झेलने जा रहे हैं. राहुल गांधी ने ट्वीट किया है, "देश एक बार फिर चंपारन जैसी त्रासदी झेलने जा रहा है.. तब अंग्रेज कम्पनी बहादुर था, अब मोदी-मित्र कम्पनी बहादुर हैं.. लेकिन आंदोलन का हर एक किसान-मज़दूर सत्याग्रही है जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा.."

राहुल ने दो दिन पहले भी नव वर्ष के मौके पर कहा था कि वो अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले किसानों के साथ हैं. 1 जनवरी को कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों का जिक्र करते हुए ट्वीट किया था,, “मैं दिल से सम्मान के साथ अन्याय से लड़ने वाले किसानों और मजदूरों के साथ हूं. सभी को नया साल मुबारक हो.” दो दिन बाद उन्होंने ब्रिटिश काल में चंपारण के किसानों से आज के किसानों की तुलना की है. 

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बता दें कि ब्रिटिश काल में बिहार के उत्तरी हिस्से में नेपाल से सटे चंपारण इलाके में जबरन किसानों से नील की खेती करवाई जाती थी. इसके लिए अंग्रेजों ने बागान मालिकों को जमीन के ठेकेदारी दे रखी थी और तीन कठिया प्रणाली लागू कर रखी थी, जिसके तहत किसानों को तीन कट्ठे में नील की खेती करनी मजबूरी थी. इस जुल्म के खिलाफ 1917 में महात्मा गांधी ने आंदोलन चलाया था, जिसे पहला सविनय अवज्ञा आंदोलन कहा जाता है. इसे चंपारण सत्याग्रह भी कहा जाता है.

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