सिविल सेवा परीक्षा (Civil Services Exam) में ‘धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सांस्कृतिक प्रथाओं के सामने चुनौतियों' पर पूछे गए एक सवाल पर नाराजगी जताते हुए कांग्रेस ने सोमवार को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को आड़े हाथ लिया और कहा कि यह लोकतांत्रिक संस्थाओं में जहर भरने के संघ के एजेंडा का नया उदाहरण है. शनिवार को सामान्य अध्ययन के प्रथम प्रश्नपत्र में यह प्रश्न पूछा गया था. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्निथला ने ट्वीट करके संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘‘विडंबना है कि यूपीएससी को ‘धर्मनिरपेक्षता' शब्द भारतीय संस्कृति के लिए चुनौती लगता है जो हमारे संविधान के आमुख का हिस्सा है.''
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चेन्निथला ने कहा, ‘‘संवैधानिक संस्थाओं का भगवाकरण बंद करो.'' चेन्निथला ने दूसरे ट्वीट में लिखा, ‘‘दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में शामिल यूपीएससी लोकतांत्रिक संस्थाओं में सांप्रदायिकता का जहर भरने के आरएसएस के एजेंडे का नया शिकार है.''
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यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षाओं की शुरूआत 20 सितंबर को हुई थी जो 29 सितंबर तक चलेंगी. इस मामले पर ट्विटर पर कई लोगों ने अपनी राय रखी. जम्मू कश्मीर में सरकार की कार्रवाई को लेकर हाल ही में प्रशासनिक सेवा छोड़ने वाले आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने ट्वीट किया कि धर्मनिरपेक्षता सकारात्मक अवधारणा है. परीक्षा में शामिल हुईं एक अभ्यर्थी ने नाम जाहिर नहीं होने की शर्त पर कहा, ‘‘इस सवाल से यह अर्थ निकलता है कि धर्मनिरपेक्षता सांस्कृतिक प्रथाओं के सामने चुनौती पैदा करती है.'' उन्होंने कहा कि संविधान में धर्मनिरेपक्षता अपने आप में भारत का मूल विचार ही है.
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