फाइल फोटो
नई दिल्ली:
कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों में अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल के मुद्दे पर आज भी अपना विरोध जारी रखते हुए केन्द्र सरकार पर ‘‘संविधान की हत्या करने’’ का आरोप लगाया जबकि केन्द्र ने इस मामले में किभी तरह की भूमिका होने से साफ इंकार किया। इस मु्द्दे पर हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी वहीं लोकसभा में कांग्रेस सदस्यों ने वाकआउट किया।
विपक्ष के व्यवहार को सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी
अरुणाचल प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम पर लोकसभा में हंगामा कर रहे कांग्रेसी सदस्यों को कड़ा संदेश देते हुए संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि हर मामले में प्रधानमंत्री का नाम घसीटना और एनडीए सरकार पर आरोप लगाने के विपक्ष के व्यवहार को सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी। सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा यह मामला उठाए जाने पर नायडू ने कहा कि केंद्र सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है और अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ने अपने अधिकारों के तहत कदम उठाया है।’ नायडू ने साथ ही कहा, 'बार-बार पीएम का नाम लेना और केंद्र सरकार पर आरोप लगाना उचित नहीं है। इस मामले में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है।’
कांग्रेस का आरोप, केंद्र सरकार राज्यपाल को उकसा रही है
इससे पूर्व, खड़गे ने भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही शुरू होने पर यह मामला उठाते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश में संवैधानिक संकट पैदा हो गया है जहां दो तिहाई बहुमत से सत्ता में आयी कांग्रेस सरकार को हटाने के लिए केंद्र सरकार राज्यपाल को उकसा रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को ध्वस्त करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्यपाल के जरिए सत्तारूढ़ कांग्रेस में विभाजन करा रही है जो पूरी तरह गैर लोकतांत्रिक कदम है।
राज्यसभा में भी हुआ विरोध
उधर, राज्यसभा में भी कांग्रेस सदस्यों ने इस मुद्दे पर अपना विरोध जताया। पार्टी के कई सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर नारेबाजी की जिससे सदन की कार्यवाही बार बार बाधित हुई। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने अरुणाचल प्रदेश का मुद्दा उठाया और कहा कि यह न केवल एक राज्य के लिए बल्कि पूरे क्षेत्रीय दलों के लिए भी चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार सदन चलाने के लिए विपक्ष से सहयोग मांगती है और दूसरी और निर्वाचित राज्य सरकार को बेदखल किया जा रहा है।
आजाद ने कहा था कि उन्होंने और कुछ अन्य सदस्यों ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नोटिस दिया है। इस पर उप सभापति पी.जे. कुरियन ने उनसे कहा कि उनके द्वारा इस मुद्दे पर दिए गए चर्चा के नोटिस पर सभापति विचार कर रहे हैं। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल के मुद्दे पर सदन में चर्चा करना उचित नहीं होगा।’ माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में जो कुछ हुआ वह लोकतंत्र विरोधी है।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि नियमों के अनुसार राज्यपाल की भूमिका और विधानसभा की कार्यवाही पर यहां चर्चा नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि अगर आसन नोटिस को स्वीकार कर लेता है तो सरकार इस विषय पर जवाब देने के लिए तैयार है।
केंद्र को तत्काल कदम उठाना चाहिए : शरद यादव
जदयू के शरद यादव ने अरुणाचल प्रदेश का जिक्र करते हुए कहा, 'यह चिंताजनक स्थिति है और केंद्र को तत्काल कदम उठाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश संवेदनशील राज्य है और दो दिनों से इस मुद्दे पर संसद में कामकाज बाधित है लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गयी है। जदयू प्रमुख यादव ने आरोप लगाया कि वहां चुनी हुयी सरकार को गिराने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वहां करीब दो सौ महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं।
सरकार आग से खेल रही है
कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश का मुद्दा महत्वपूर्ण है जहां संविधान का घोर उल्लंघन किया गया है। शर्मा ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश एक सीमावर्ती राज्य है जहां जानबूझकर हालात को अस्थिर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे को उठाने के लिए मजबूर हैं। सरकार हमें आश्वासन दे कि जो कदम वहां उठाए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में जो रहा है, वह सरकार की जवाबदेही है। उन्होंने आगाह किया कि वहां की घटना का दूरगामी असर होगा और यह सुरक्षा से भी जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आग से खेल रही है।
कांग्रेस के ही प्रमोद तिवारी ने व्यवस्था के प्रश्न के नाम पर अरुणाचल प्रदेश का मुद्दा उठाया लेकिन कुरियन ने कहा कि राज्यपाल के बारे में कोई भी बात सदन की कार्यवाही में दर्ज नहीं की जाएगी।
कांग्रेस के मोतीलाल वोरा ने आरोप लगाया कि अरुणाचल में संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है।
कांग्रेस के आरोपों को अस्वीकार करते हुए समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि उस मामले से भारत सरकार का कोई लेनादेना नहीं है।
भाजपा के बी.पी. सिंह बदनौर ने कहा कि कांग्रेस के विधायक ही अपनी पार्टी से खुश नहीं हैं और वे कांग्रेस के साथ नहीं रहना चाहते। उन्होंने कहा कि वहां के मामले में सरकार की कोई भूमिका नहीं है और इस संबंध में सरकार पर आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि कांग्रेस पिछले कुछ दिनों से संसद के दोनों सदनों में अरुणाचल घटनाक्रम को लेकर अपना विरोध जारी रखे हुए है।
विपक्ष के व्यवहार को सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी
अरुणाचल प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम पर लोकसभा में हंगामा कर रहे कांग्रेसी सदस्यों को कड़ा संदेश देते हुए संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि हर मामले में प्रधानमंत्री का नाम घसीटना और एनडीए सरकार पर आरोप लगाने के विपक्ष के व्यवहार को सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी। सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा यह मामला उठाए जाने पर नायडू ने कहा कि केंद्र सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है और अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ने अपने अधिकारों के तहत कदम उठाया है।’ नायडू ने साथ ही कहा, 'बार-बार पीएम का नाम लेना और केंद्र सरकार पर आरोप लगाना उचित नहीं है। इस मामले में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है।’
कांग्रेस का आरोप, केंद्र सरकार राज्यपाल को उकसा रही है
इससे पूर्व, खड़गे ने भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही शुरू होने पर यह मामला उठाते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश में संवैधानिक संकट पैदा हो गया है जहां दो तिहाई बहुमत से सत्ता में आयी कांग्रेस सरकार को हटाने के लिए केंद्र सरकार राज्यपाल को उकसा रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को ध्वस्त करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्यपाल के जरिए सत्तारूढ़ कांग्रेस में विभाजन करा रही है जो पूरी तरह गैर लोकतांत्रिक कदम है।
राज्यसभा में भी हुआ विरोध
उधर, राज्यसभा में भी कांग्रेस सदस्यों ने इस मुद्दे पर अपना विरोध जताया। पार्टी के कई सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर नारेबाजी की जिससे सदन की कार्यवाही बार बार बाधित हुई। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने अरुणाचल प्रदेश का मुद्दा उठाया और कहा कि यह न केवल एक राज्य के लिए बल्कि पूरे क्षेत्रीय दलों के लिए भी चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार सदन चलाने के लिए विपक्ष से सहयोग मांगती है और दूसरी और निर्वाचित राज्य सरकार को बेदखल किया जा रहा है।
आजाद ने कहा था कि उन्होंने और कुछ अन्य सदस्यों ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नोटिस दिया है। इस पर उप सभापति पी.जे. कुरियन ने उनसे कहा कि उनके द्वारा इस मुद्दे पर दिए गए चर्चा के नोटिस पर सभापति विचार कर रहे हैं। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल के मुद्दे पर सदन में चर्चा करना उचित नहीं होगा।’ माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में जो कुछ हुआ वह लोकतंत्र विरोधी है।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि नियमों के अनुसार राज्यपाल की भूमिका और विधानसभा की कार्यवाही पर यहां चर्चा नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि अगर आसन नोटिस को स्वीकार कर लेता है तो सरकार इस विषय पर जवाब देने के लिए तैयार है।
केंद्र को तत्काल कदम उठाना चाहिए : शरद यादव
जदयू के शरद यादव ने अरुणाचल प्रदेश का जिक्र करते हुए कहा, 'यह चिंताजनक स्थिति है और केंद्र को तत्काल कदम उठाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश संवेदनशील राज्य है और दो दिनों से इस मुद्दे पर संसद में कामकाज बाधित है लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गयी है। जदयू प्रमुख यादव ने आरोप लगाया कि वहां चुनी हुयी सरकार को गिराने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वहां करीब दो सौ महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं।
सरकार आग से खेल रही है
कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश का मुद्दा महत्वपूर्ण है जहां संविधान का घोर उल्लंघन किया गया है। शर्मा ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश एक सीमावर्ती राज्य है जहां जानबूझकर हालात को अस्थिर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे को उठाने के लिए मजबूर हैं। सरकार हमें आश्वासन दे कि जो कदम वहां उठाए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में जो रहा है, वह सरकार की जवाबदेही है। उन्होंने आगाह किया कि वहां की घटना का दूरगामी असर होगा और यह सुरक्षा से भी जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आग से खेल रही है।
कांग्रेस के ही प्रमोद तिवारी ने व्यवस्था के प्रश्न के नाम पर अरुणाचल प्रदेश का मुद्दा उठाया लेकिन कुरियन ने कहा कि राज्यपाल के बारे में कोई भी बात सदन की कार्यवाही में दर्ज नहीं की जाएगी।
कांग्रेस के मोतीलाल वोरा ने आरोप लगाया कि अरुणाचल में संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है।
कांग्रेस के आरोपों को अस्वीकार करते हुए समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि उस मामले से भारत सरकार का कोई लेनादेना नहीं है।
भाजपा के बी.पी. सिंह बदनौर ने कहा कि कांग्रेस के विधायक ही अपनी पार्टी से खुश नहीं हैं और वे कांग्रेस के साथ नहीं रहना चाहते। उन्होंने कहा कि वहां के मामले में सरकार की कोई भूमिका नहीं है और इस संबंध में सरकार पर आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि कांग्रेस पिछले कुछ दिनों से संसद के दोनों सदनों में अरुणाचल घटनाक्रम को लेकर अपना विरोध जारी रखे हुए है।
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