सेना के वरिष्ठ कमांडरों (Senior Army Commanders) की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने (Army Chief General MM Naravane) की अध्यक्षता में रक्षा मंत्रालय कार्यालय में चल रही है. सेना कमांडरों के इस सम्मेलन में लद्दाख में चीनी सेना की हालिया आक्रामक कार्रवाई (Chinese aggression in Ladakh) सहित भारत की सीमाओं की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चीन के साथ गतिरोध मामले पर चर्चा के लिए उच्च स्तरीय बैठक आयोजित करने के एक दिन बाद यह कॉन्फ्रेंस आयोजित किया जा रहा है. इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत भी शामिल थे.कॉन्फ्रेंस के पहले चरण के दौरान, परिचालन (ऑपरेशनल) और प्रशासनिक मुद्दों से संबंधित पहलुओं, रसद और मानव संसाधन से संबंधित अध्ययनों पर भी चर्चा होगी.
गौरतलब है कि चीन ने लद्दाख के पास अपने एयरबेस का विस्तार कर लिया है. NDTV को मिली एक्सक्लूसिव तस्वीरों ये साफ देखा जा सकता है. तस्वीरों में एयरबेस के टरमैक पर लड़ाकू विमानों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. बता दें कि यह एयरबेस यह नगारी कुंशा एयरपोर्ट पर है जो कि पैंगयोंग लेक से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर तिब्बत में स्थित है. पिछले कुछ समय में लद्दाख में भारतीय और चीनी सेना के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है 6 अप्रैल 2020 की सैटेलाइट तस्वीर में इस एयरपोर्ट और रनवे को देखा जा सकता है. लेकिन 20 मई 2020 की तस्वीरों में काफी कुछ बदला हुआ देखा जा सकता है. नई तस्वीर में बड़े पैमाने पर एयरबेस के निर्माण की गतिविधियां दिखाई दे रही हैं.
नई तस्वीर में एक नया ट्रैक भी दिख रहा है जो एक समानांतर टैक्सी ट्रैक हो सकता है. या हो सकता है कि इस ऊंची जगह पर हेलीकॉपटर के लिए इस जगह का निर्माण किया गया हो.एक अन्य तस्वीर है जो भारत के लिए चिंता का विषय हो सकती है. इस तस्वीर में इस एयरबेस पर 4 लड़ाकू विमान खड़े दिख रहे हैं. ये या तो J-11 या J-16 हो सकते है जो रूसी सुखोई-27 या सुखोई-30 के वैरिएंट हैं. यह चीन के प्रमुख लड़ाकू विमान हैं और भारतीय सीमा से केवल 200 किलोमीटर दूर इनकी तैनाती वाकई भारत के लिए चिंता का विषय है. ये तस्वीरें पहली बार ऑनलाइन जारी की गई हैं. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास कई क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव की स्थिति बरकरार है और 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद यह सबसे बड़ी सैन्य तनातनी का रूप ले सकती है. उच्च पदस्थ सैन्य सूत्रों का कहना है कि भारत ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में अपनी स्थिति मजबूत की है.
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