यह ख़बर 31 अगस्त, 2012 को प्रकाशित हुई थी

इस्तीफा नहीं दूंगा, लोकतंत्र को नकार रही है भाजपा : प्रधानमंत्री

खास बातें

  • प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर शुक्रवार को इस्तीफे की मांग ठुकराते हुए संसद में गतिरोध पैदा करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर प्रहार किया और उस पर ध्यान भटकाने की युक्तियां अपनाने का आरोप लगाया।
विशेष विमान से:

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर शुक्रवार को इस्तीफे की मांग ठुकराते हुए संसद में गतिरोध पैदा करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर प्रहार किया और उस पर ध्यान भटकाने की युक्तियां अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)-2 सरकार पांच वर्ष के लिए निर्वाचित हुई थी और भाजपा को 'जनता के फैसले का स्वागत करना चाहिए।'

कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने कहा कि वह आरोप-प्रत्यारोप में पड़ने के बदले चुप रहना बेहतर समझते हैं।

प्रधानमंत्री ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन (नाम) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेकर तेहरान से लौटते समय अपने विशेष विमान में संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि उनसे इस्तीफे की मांग करने के बजाय भाजपा को शक्ति परीक्षण के लिए 2014 में होने वाले अगले आम चुनाव तक इंतजार करना चाहिए।

चार दिन के तेहरान दौरा से स्वदेश लौटते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "यदि मैं इस्तीफा दे रहा होता तो यहां नहीं होता।" उन्होंने कहा, "जनता ने इस सरकार को पांच साल के लिए चुना है। मैं उम्मीद करता हूं कि भाजपा जनता के फैसले का सम्मान करेगी और संसद में कामकाज चलने देगी। यदि वह गतिरोध जारी रखना चाहती है तो यह उसका अपना तरीका है, इसका मतलब होगा लोकतंत्र को नकारना।"

मनमोहन ने कहा, "भाजपा मुद्दे को भटकाने के तरीके अपना रही है। यह सब करने में वह हमेशा बुनियादी कर्तव्यों से भटक जाती है।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "विपक्ष को हमें उस तरीके से काम करने का एक मौका देना चाहिए, जिस तरीके से देश की बुनियादी समस्याएं सुलझाई जा सकती हैं।"

मनमोहन ने कहा, "हमें जरूरी चीजों पर ध्यान केंद्रित करने दें और शक्ति परीक्षण के लिए अगले चुनाव तक इंतजार करें। हम लोकतंत्र का लगातार मजाक नहीं बना सकते।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह आरोप-प्रत्यारोप में पड़ने के बदले चुप रहना बेहतर समझते हैं। उन्होंने कहा, "राजनीतिज्ञों के साथ आरोप-प्रत्यारोप का खेल नहीं खेल सकता। जैसा कि मैं पहले कह चुका हूं कि इससे अच्छा है कि मैं चुप रहूं।"

प्रशासन के क्षेत्र में उनके अफसोस के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कई अफसोस हैं। उन्होंने कहा, "ढेर सारे काम हैं, जिन्हें हम करना चाहेंगे। निश्चिततौर पर नौ प्रतिशत विकास दर की बुनियाद पड़ी होती, लेकिन अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों ने साथ नहीं दिया, घरेलू नीति में सहमति का अभाव रहा। जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को लेकर मतभेद हैं। यह तय है कि इससे जीडीपी में एक-दो प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, कर प्रणाली चुस्त हो सकती है और कर चोरी के मौके न्यूनतम हो सकते हैं। लेकिन यहां कई सारी समस्याएं हैं।"

अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने कहा कि घरेलू राजनीति में सामंजस्य का अभाव देश के आर्थिक रूप से आगे न बढ़ पाने का एक कारण है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नौ प्रतिशत विकास दर की बुनियाद रखी गई है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रखा है। उन्होंने कहा कि घरेलू राजनीति में सामंजस्य का अभाव इसका एक अन्य कारण है।

मनमोहन सिंह ने असम की साम्प्रदायिक हिंसा पर भी चिंता जाहिर की। इस हिंसा में अबतक 80 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, "असम में साम्प्रदायिक तनाव एवं अशांति निश्चित तौर पर चिंता का विषय है।" उन्होंने कहा कि बेंगलुरू, पुणे, मुम्बई सहित दक्षिण भारत के शहरों से पूर्वोत्तर के लोगों का बड़ी संख्या में पलायन 'अच्छा नहीं' है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार देश में सद्भावना कायम करने के लिए काम करेगी।

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प्रधानमंत्री ने दोहराया कि उन्होंने कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को सरकार में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है और उन्हें उम्मीद है राहुल ऐसा करेंगे। उन्होंने कहा, "मैं उन्हें कई बार कैबिनेट का हिस्सा बनने का आमंत्रण दे चुका हूं.. मैं आशा करता हूं कि वह इस पर गंभरता से विचार करेंगे।"