संजीव चतुर्वेदी की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:
सूचना आयोग ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री कार्यालय को आदेश दिया है कि वो हरियाणा में भूपिंदर सिंह हुड्डा सरकार के वक्त हुए वन घोटालों की सीबीआई जांच से जुड़े तथ्य के बारे में आरटीआई से मांगी गई जानकारी मुहैया कराए।
सूचना आयोग ने आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की याचिका पर मंगलवार को सात पन्नों का आदेश पास किया। इसमें आयोग ने माना कि भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने हरियाणा में रहते जिन घोटालों का खुलासा किया, उनकी सीबीआई जांच को लेकर पीएमओ से मांगी गई जानकारी व्यापक जनहित में है और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेन्स की नीति की भावना में है।
आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई के बाद सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने पीएमओ के सूचना अधिकारी से छह बिंदुओं पर पूरी जानकारी देने को कहा है, जिसमें वन घोटालों की सीबीआई जांच पर कार्मिक मंत्रालय की ओर से लगाए गए कथित अड़ंगे के बारे में भी पता चल सकेगा। सूचना आयोग ने इस बारे में जानकारी देने के लिए पीएमओ अधिकारियों को 15 दिन का वक्त दिया है और आदेश के अनुपालन की समीक्षा के लिए 19 जनवरी की तारीख तय की है।
गौरतलब है कि हरियाणा में वन अधिकारी रहते 2002 बैच के इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के अफसर संजीव चतुर्वेदी – जिन्हें भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए उल्लेखनीय साहस दिखाने के लिए 2015 का रमन मैग्सेसे पुरस्कार भी दिया गया - ने कई भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर किए थे, जिसके बाद पर्यावरण मंत्रालय ने सीबीआई जांच की हरी झंडी दे दी थी और सीबीआई ने कहा था कि ये जांच के लिए उसे सौंपा जाए। लेकिन कार्मिक मंत्रालय की सलाह की वजह से सीबीआई जांच की प्रक्रिया अटक गई थी।
खुद चतुर्वेदी 2013 से पीएमओ से इस बात की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांग रहे हैं, लेकिन उन्हें ये जानकारी नहीं दी गई। दिलचस्प है कि इसी मामले में खुद पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त विजय शर्मा ने रिटायर होने से पहले 30 नवंबर को जानकारी न देने वाले अफसरों के खिलाफ सीआईसी की ओर से दिया गया 25 हजार रुपये जुर्माने का नोटिस वापस ले लिया था, लेकिन अब खुद सीआईसी के ही सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने दूसरे आरटीआई कार्यकर्ता अग्रवाल की याचिका पर पीएमओ के अधिकारियों से पूरी जानकारी देने को कहा है।
सूचना आयोग ने आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की याचिका पर मंगलवार को सात पन्नों का आदेश पास किया। इसमें आयोग ने माना कि भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने हरियाणा में रहते जिन घोटालों का खुलासा किया, उनकी सीबीआई जांच को लेकर पीएमओ से मांगी गई जानकारी व्यापक जनहित में है और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेन्स की नीति की भावना में है।
आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई के बाद सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने पीएमओ के सूचना अधिकारी से छह बिंदुओं पर पूरी जानकारी देने को कहा है, जिसमें वन घोटालों की सीबीआई जांच पर कार्मिक मंत्रालय की ओर से लगाए गए कथित अड़ंगे के बारे में भी पता चल सकेगा। सूचना आयोग ने इस बारे में जानकारी देने के लिए पीएमओ अधिकारियों को 15 दिन का वक्त दिया है और आदेश के अनुपालन की समीक्षा के लिए 19 जनवरी की तारीख तय की है।
गौरतलब है कि हरियाणा में वन अधिकारी रहते 2002 बैच के इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के अफसर संजीव चतुर्वेदी – जिन्हें भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए उल्लेखनीय साहस दिखाने के लिए 2015 का रमन मैग्सेसे पुरस्कार भी दिया गया - ने कई भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर किए थे, जिसके बाद पर्यावरण मंत्रालय ने सीबीआई जांच की हरी झंडी दे दी थी और सीबीआई ने कहा था कि ये जांच के लिए उसे सौंपा जाए। लेकिन कार्मिक मंत्रालय की सलाह की वजह से सीबीआई जांच की प्रक्रिया अटक गई थी।
खुद चतुर्वेदी 2013 से पीएमओ से इस बात की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांग रहे हैं, लेकिन उन्हें ये जानकारी नहीं दी गई। दिलचस्प है कि इसी मामले में खुद पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त विजय शर्मा ने रिटायर होने से पहले 30 नवंबर को जानकारी न देने वाले अफसरों के खिलाफ सीआईसी की ओर से दिया गया 25 हजार रुपये जुर्माने का नोटिस वापस ले लिया था, लेकिन अब खुद सीआईसी के ही सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने दूसरे आरटीआई कार्यकर्ता अग्रवाल की याचिका पर पीएमओ के अधिकारियों से पूरी जानकारी देने को कहा है।
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