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This Article is From Nov 09, 2017

अदालत तभी आना चाहिए जब सही अर्थों में अनदेखी महसूस हो : मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा

प्रधान न्यायाधीश ने देशभर के उच्च न्यायालयों द्वारा शनिवार को भी काम करने की और एक दशक से अधिक समय से लंबित 2100 से अधिक आपराधिक अपीलों को निपटाने की सराहना की. 

अदालत तभी आना चाहिए जब सही अर्थों में अनदेखी महसूस हो : मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ( फाइल फोटो )
नई दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा  ने आज 'व्यर्थ मामलों' से न्यायपालिका पर बोझ बढ़ने की निंदा करते हुए कहा कि किसी को भी अदालत तभी आना चाहिए जब उसे सही अर्थों में अनदेखी महसूस हो रही हो. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नाल्सा) द्वारा यहां विधिक सेवा दिवस के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने देशभर के उच्च न्यायालयों द्वारा शनिवार को भी काम करने की और एक दशक से अधिक समय से लंबित 2100 से अधिक आपराधिक अपीलों को निपटाने की सराहना की. 

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सीजेआई ने कहा, ‘‘दस साल से ज्यादा पुराने मामले थे और मैंने सभी हाईकोर्टों को पत्र लिखकर ऐसी आपराधिक अपीलों पर ध्यान देने और इनसे निपटने को कहा था.’’ वक्ताओं में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद  भी उपस्थित थे जिन्होंने भी कहा कि सुगम कामकाज के लिए केवल सही मामले ही दाखिल होने चाहिए.

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सीजेआई ने यह भी कहा कि नाल्सा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई वंचित महसूस नहीं करे. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश और नाल्सा के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कहा कि जीडीपी दर के बड़े-बड़े आंकड़ों का तब तक कोई मतलब नहीं है जब तक वे वंचितों की भलाई में तब्दील नहीं हों. 

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