छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल को हाईकोर्ट से राहत, जस्टिस दीपक गुप्ता ने खुद को सुनवाई से अलग किया- प्रतीकात्मक फोटो
रायपुर:
छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल को हाईकोर्ट से राहत मिली. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक गुप्ता ने खुद को सुनवाई से अलग किया. अब इस मामले की सुनवाई कोई दूसरी बेंच करेगी.
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दरअसल ये याचिका प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने दायर की थी. ये कहा गया था कि पिछले साल जब स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल के खिलाफ कांग्रेस विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाई थी, तो खुद अग्रवाल ने ही उसे खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ प्रस्ताव था. वो उस पर फैसला कैसे ले सकता मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में चल रही थी और हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था.
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आरोप था कि स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल के ट्रस्ट छगनलाल गोविंदलाल ट्रस्ट ने रायपुर में महादेव घाट के पास उस जमीन पर मंदिर, दुकानें और भवन बना दिया जिसे शासन - प्रशासन सभी ने सरकारी जमीन बताया. इस जमीन पर निर्माण का प्रस्ताव सरकार पहले ही खारिज कर चुकी थी.
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बावजूद इसके यहां पर मंदिर समेत दूसरे निर्माण कराए गए थे. इसी बात को लेकर कांग्रेस विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाई थी जिसे स्पीकर ने पेश ही नहीं होने दिया. अपने जवाब में शासन ने कहा था कि जिस विधानसभा सत्र में कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाई थी, वो सत्र समाप्त हो चुका है. लिहाजा इस याचिका का कोई औचित्य नहीं रह जाता.
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दरअसल ये याचिका प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने दायर की थी. ये कहा गया था कि पिछले साल जब स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल के खिलाफ कांग्रेस विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाई थी, तो खुद अग्रवाल ने ही उसे खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ प्रस्ताव था. वो उस पर फैसला कैसे ले सकता मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में चल रही थी और हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था.
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आरोप था कि स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल के ट्रस्ट छगनलाल गोविंदलाल ट्रस्ट ने रायपुर में महादेव घाट के पास उस जमीन पर मंदिर, दुकानें और भवन बना दिया जिसे शासन - प्रशासन सभी ने सरकारी जमीन बताया. इस जमीन पर निर्माण का प्रस्ताव सरकार पहले ही खारिज कर चुकी थी.
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बावजूद इसके यहां पर मंदिर समेत दूसरे निर्माण कराए गए थे. इसी बात को लेकर कांग्रेस विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाई थी जिसे स्पीकर ने पेश ही नहीं होने दिया. अपने जवाब में शासन ने कहा था कि जिस विधानसभा सत्र में कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाई थी, वो सत्र समाप्त हो चुका है. लिहाजा इस याचिका का कोई औचित्य नहीं रह जाता.
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