बेंगलुरु:
कर्नाटक के लोकयुक्त जस्टिस सुधाकर राव ने अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी है। सिटी क्राइम ब्रांच के डीआईजी पी चन्द्रशेखर इस मामले की अब जांच करेंगे।
दरअसल कर्नाटक लोकयुक्त दफ्तर में आरक्षी अधीक्षक पद पर तैनात आईपीएस अधिकारी सोनिया नारंग ने लोकयुक्त के रजिस्ट्रार को एक पत्र लिखकर सचेत किया कि इस दफ्तर के अंदर कुछ लोग भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
सोनिया नारंग के इस पत्र के मुताबिक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर कृष्णमूर्ति उनसे पिछले महीने की 7 तारीख को दफ्तर में मिले और बताया कि कृष्णा राव नाम के एक शख्स ने उन्हें लोकायुक्त दफ्तर बुलाया और वहां एक हॉल में ले गया जहां कृष्णमूर्ति से एक करोड़ रुपये की मांग ये कहते हुए की कि अगर उसने ऐसा नहीं किया तो उसके घर पर छापेमारी की जाएगी। कृष्णा राव ने यहां तक कहा कि उसने काफी पैसे कमाए हैं और इसकी जानकारी लोकयुक्त को है।
एक करोड़ से मोलभाव के बाद मामला 50 लाख पर आकर थमा। ये सब डील लोकयुक्त के दफ्तर वाले फ्लोर में हुई। बाद में कृष्णप्पा ने मामले की जानकारी सोनिया नारंग को दी। सोनिया नारंग ने रजिस्ट्रार से मांग की है कि लोकायुक्त दफ्तर में भ्रष्टाचार के इस मामले की जांच फ़ौरन करवाई जाये।
इस पत्र के सामने आने के बाद आरटीआई कार्यकर्ताओं ने मौजूदा लोकायुक्त सुधाकर राव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस मोर्चे का नेतृत्व करने वाले भास्करण के मुताबिक कृष्णा राव और अश्विन लोकयुक्त जस्टिस सुधाकर राव के रिश्तेदार हैं।
ऐसे में अब ये लोग मांग कर रहे थे कि इस मामले की सीबीआई या फिर एसआईटी से जांच कराई जाये। अगर सरकार इसके लिए तैयार नहीं होती तो वो कर्नाटक हाई कोर्ट में पीआईएल के जरिए इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करेंगे।
मीडिया ने भी इस मामले को उछाला और लोकायुक्त दफ्तर की प्रतिष्ठा दांव पर लग गयी। ऐसे में इस मामले की जांच सिटी क्राइम ब्रांच से करवाने का फैसला किया गया। हालांकि जांच पूरी करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गयी है।
दरअसल कर्नाटक लोकयुक्त दफ्तर में आरक्षी अधीक्षक पद पर तैनात आईपीएस अधिकारी सोनिया नारंग ने लोकयुक्त के रजिस्ट्रार को एक पत्र लिखकर सचेत किया कि इस दफ्तर के अंदर कुछ लोग भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
सोनिया नारंग के इस पत्र के मुताबिक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर कृष्णमूर्ति उनसे पिछले महीने की 7 तारीख को दफ्तर में मिले और बताया कि कृष्णा राव नाम के एक शख्स ने उन्हें लोकायुक्त दफ्तर बुलाया और वहां एक हॉल में ले गया जहां कृष्णमूर्ति से एक करोड़ रुपये की मांग ये कहते हुए की कि अगर उसने ऐसा नहीं किया तो उसके घर पर छापेमारी की जाएगी। कृष्णा राव ने यहां तक कहा कि उसने काफी पैसे कमाए हैं और इसकी जानकारी लोकयुक्त को है।
एक करोड़ से मोलभाव के बाद मामला 50 लाख पर आकर थमा। ये सब डील लोकयुक्त के दफ्तर वाले फ्लोर में हुई। बाद में कृष्णप्पा ने मामले की जानकारी सोनिया नारंग को दी। सोनिया नारंग ने रजिस्ट्रार से मांग की है कि लोकायुक्त दफ्तर में भ्रष्टाचार के इस मामले की जांच फ़ौरन करवाई जाये।
इस पत्र के सामने आने के बाद आरटीआई कार्यकर्ताओं ने मौजूदा लोकायुक्त सुधाकर राव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस मोर्चे का नेतृत्व करने वाले भास्करण के मुताबिक कृष्णा राव और अश्विन लोकयुक्त जस्टिस सुधाकर राव के रिश्तेदार हैं।
ऐसे में अब ये लोग मांग कर रहे थे कि इस मामले की सीबीआई या फिर एसआईटी से जांच कराई जाये। अगर सरकार इसके लिए तैयार नहीं होती तो वो कर्नाटक हाई कोर्ट में पीआईएल के जरिए इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करेंगे।
मीडिया ने भी इस मामले को उछाला और लोकायुक्त दफ्तर की प्रतिष्ठा दांव पर लग गयी। ऐसे में इस मामले की जांच सिटी क्राइम ब्रांच से करवाने का फैसला किया गया। हालांकि जांच पूरी करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गयी है।
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