महाराष्ट्र के सांगली में 400 साल पुराने पेड़ को बचाने के लिए हाईवे प्रोजेक्ट में किया गया बदलाव

महाराष्ट्र के सांगली जिले में एक 400 साल पुराने बरगद के पेड़ को लेकर हाईवे प्रोजेक्ट के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पेड़ को कोई नुकसान न पहुंचाने का फैसला लिया गया है.

महाराष्ट्र के सांगली में 400 साल पुराने पेड़ को बचाने के लिए हाईवे प्रोजेक्ट में किया गया बदलाव

रत्नागिरी-सोलापुर हाइवे प्रोजेक्ट के लिए 400 साल पुराने पेड़ को काटने की योजना बनाई गई थी.

मुंबई:

महाराष्ट्र के सांगली जिले में एक 400 साल पुराने बरगद के पेड़ को लेकर हाईवे प्रोजेक्ट के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पेड़ को कोई नुकसान न पहुंचाने का फैसला लिया गया है. यह जानकारी महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे ने आज एक ट्वीट में दी. ठाकरे ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने सड़क निर्माण परियोजना की राह में आने वाले पेड़ को नहीं काटने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि एनएचएआई हाईवे को पेड़ के करीब ले जाएगा. 

उन्होंने ट्वीट किया, "सांगली जिले में 400 साल पुराने बरगद के पेड़ को हमने NHAI को एक पत्र लिख बचाया है. कोई भी पेड़ के करीब हाईवे को देख सकता है. अब, पेड़ को बचाने के लिए इसे फिर से शुरू किया जाएगा. पेड़ लोक कथाओं का रक्षक है. और बचपन में उसके पास खेलने वाले लोगों की यादों से जुड़ा है. "एनएचएआई ने रत्नागिरी-सोलापुर हाईवे प्रोजेक्ट के लिए 400 साल पुराने पेड़ को काटने की योजना बनाई थी जो कि 400 वर्ग मीटर में फैला है.  जिसके बाद पर्यावरणविदों और ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत की.  लोग पेड़ की रक्षा के लिए चिपको आंदोलन की तरह पेड़ के चारों ओर इकट्ठा होते देखे गए. 

पर्यावरण कार्यकर्ता प्रवीण शिंदे ने कहा, "एनएचएआई रत्नागिरी-सोलापुर हाईवे प्रोजेक्ट के लिए पेड़ काटने की तैयारी कर रहा था. हमने पेड़ को बचाने के लिए सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए चिपको आंदोलन शुरू किया. हमारे आंदोलन को देखते हुए, पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को लिखा. जिन्होंने इस पर ध्यान दिया और अधिकारियों को पेड़ न काटने का निर्देश दिया." 

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लोगों ने पेड़ की शाखाओं की तस्वीरें खींच सोशल मीडिया पर वायरल की. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में बंदर और अन्य प्रजातियों के जीव पेड़ की शाखाओं पर दिखाई दिए. इस वीडियो के जरिए लोगों ने बताना चाहा कि यह पेड़ कई जीवों का आशियाना भी है.