कश्मीर 4G इंटरनेट बहाली के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि वह मीडिया में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (LG) के कथित बयानों को सत्यापित करेगा, जिसमें कहा गया है कि प्रदेश में 4 जी को बहाल किया जाए. जम्मू और कश्मीर प्रशासन का कहना है कि वो केंद्र के हलफनामे की जांच कर जवाबी हलफनामा दाखिल करेगा. सुप्रीम कोर्ट 7 अगस्त को मामले की सुनवाई करेगा.
दरअसल सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से हुज़ेफ़ा अहमदी ने कहा कि 4 जी इंटरनेट की बहाली के संबंध में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल द्वारा एक मीडिया वक्तव्य है जिसमें कहा गया है कि इंटरनेट को बहाल करने के लिए सिफारिश भेजी गई है. केंद्र द्वारा दायर हलफनामे में स्पष्ट कहा गया है कि समिति का कहना है कि इंटरनेट को बहाल नहीं किया जाना चाहिए लेकिन हम इस पर निर्णय लेने के लिए केंद्र शासित प्रदेश पर छोड़ देते हैं. यदि आईटी के प्रमुख कह रहे हैं कि 4 जी को बहाल किया जाना चाहिए तो उन्हें ऐसा करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से जवाब मांगा तो उन्होंने विस्तृत प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए समय मांगा है. जम्मू-कश्मीर में 4 जी इंटरनेट बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस संबंध में जवाब मांगा था. वहीं, केंद्र ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि 4G के मुद्दे पर गौर करने के लिए गठित विशेष समिति ने सेवाओं को फिर से शुरू करने के खिलाफ फैसला किया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 21 जुलाई को दायर हलफनामे में, केंद्र सरकार के खिलाफ एक अवमानना याचिका के जवाब में, कहा कि समिति दो महीने बाद अपने फैसले की समीक्षा करेगी. इसका मतलब ये है कि कम से कम अगले दो महीने केंद्र शासित प्रदेश में 4 जी इंटरनेट बहाल नहीं होंगी.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को एक हफ्ते में 4जी मोबाइल सेवा की समीक्षा करने के लिए स्पेशल कमेटी के गठन संबंधी पूरी जानकारी का जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा था. केंद्र, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कोर्ट के आदेशों के तहत इंटरनेट बैन की समीक्षा के लिए स्पेशल कमेटी का गठन किया गया है और कमेटी ने 4G संबंधी फैसले भी लिए हैं.
AG के के वेणुगोपाल ने कहा था कि ये अवमानना का मामला नहीं है क्योंकि कमेटी का गठन किया गया है. कोर्ट ने कहा कि कुछ भी सार्वजनिक जानकारी में नहीं है. अदालत ने पूछा था कि क्या कमेटी के बारे में पब्लिक डोमेन में जानकारी दी गई है? अदालत ने पूछा था कि जब मई के आदेश तहत कमेटी का गठन किया गया है तो इसे पब्लिक डोमेन में क्यों नहीं डाला गया. केंद्र ने कहा था कि वो जल्द ही सारी जानकारी का हलफनामा दाखिल करेगा.
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