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This Article is From Jul 25, 2014

केंद्र ने महाराष्ट्र सदन की घटना को बताया दुर्भाग्यपूर्ण : पीड़ित ने नहीं की शिकायत

केंद्र ने महाराष्ट्र सदन की घटना को बताया दुर्भाग्यपूर्ण : पीड़ित ने नहीं की शिकायत
नई दिल्ली:

केंद्र ने 17 जुलाई को न्यू महाराष्ट्र सदन में कुछ संसद सदस्यों द्वारा भोजन की गुणवत्ता पर आपत्ति जताये जाने के दौरान हुए घटनाक्रम को 'दुर्भाग्यपूर्ण और अफसोसजनक' करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि इस बारे में न तो आईआरसीटीसी के संबद्ध कर्मचारी और न ही महाराष्ट्र सरकार की ओर से कोई शिकायत दर्ज कराई गई है।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में दिए एक बयान में यह बात कही। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से प्राप्त सूचना के आधार पर बताया कि राज्य के कुछ सांसदों ने 17 जुलाई 2014 को राष्ट्रीय राजधानी के न्यू महाराष्ट्र सदन में आईआरसीटीसी द्वारा प्रदान किए जा रहे भोजन की गुणवत्ता को लेकर आपत्ति जताई। इसी क्रम में उन्होंने आईआरसीटीसी की सेवाएं तत्काल समाप्त किए जाने की मांग की।

सिंह ने बताया कि इन सांसदों ने न्यू महाराष्ट्र सदन में स्थानीय आयुक्त के कैम्प कार्यालय और रसोईघर में जाकर आपत्ति जताई। इसके बाद उन्होंने आईआरसीटीसी के स्थानीय प्रबंधक अर्शद जुबैर को भोजन की गुणवत्ता के विषय में आपत्ति जताते हुए कथित रूप से एक चपाती खिलाने की कोशिश की।

उन्होंने कहा कि आईआरसीटीसी ने 18 जुलाई को एक पत्र के माध्यम से महाराष्ट्र सदन के साथ खानपान एवं सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं प्रदान किए जाने का अपना करार समाप्त कर दिया। आईआरसीटीसी द्वारा यह सूचित किया गया है कि उसका यह निर्णय अंतिम है और इसे बदला नहीं जाएगा।

गृहमंत्री ने कहा कि अरशद जुबैर द्वारा स्थानीय पुलिस में इस बारे में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। इस विषय में महाराष्ट्र सदन के स्थानीय आयुक्त ने मुख्य सचिव, महाराष्ट्र के कार्यालय को सूचित कर दिया है। हालांकि उनके द्वारा भी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।

उन्होंने कहा, 'यह घटना जो घटित हुई, बहुत ही अफसोसजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है।' सिंह ने कहा, '..हमारी सरकार सभी नागरिकों को संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता को अक्षुण्ण रखने के लिए प्रतिबद्ध है।'

गौरतलब है कि इस घटना में कथित रूप से शिवसेना के एक सांसद ने खाने की गुणवत्ता पर आपत्ति जताते हुए आईआरसीटीसी कर्मचारी जुबैर को चपाती खिलाने की कोशिश की थी जबकि वह रोजे पर था। इस घटना का विरोध करते हुए विपक्ष ने उच्च सदन में भारी हंगामा किया था और गृहमंत्री के बयान की मांग की गई थी।

गृहमंत्री द्वारा आज सदन में दिए गए बयान में कहीं भी शिवसेना का नाम नहीं लिया गया।

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