पेशावर में तालिबान की ओर से नरसंहार किए जाने की घटना के मद्देनजर स्कूलों को इस बारे में समग्र दिशानिर्देश जारी किए गए हैं कि आतंकी हमले की स्थिति से कैसे निपटना है।
ऐहतियाती कदम, अपहरण की कोशिश की स्थिति में बच्चों, शिक्षकों एवं सुरक्षा कर्मचारियों के लिए अ5यास, एकाएक गोलीबारी, बंधक बनाने के लिए हथियारबंद घुसपैठ और विस्फोटक हमलों से संबंधित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की गई।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि स्कूलों के प्रधानाध्यपकों से कहा गया है कि वे गृह मंत्रालय की ओर से तैयार और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से वितरित इस मानक संचालन प्रक्रिया को ध्यान से पढ़ें तथा इसे स्कूलों के सभी कर्मचारियों एवं शिक्षकों के संज्ञान में लाएं और दिशानिर्देशों को लागू कराने के लिए एक समग्र कार्य योजना विकसित करें।
एसओपी में कहा गया है, 'हर स्कूल में मजबूत दीवार होनी चाहिए तथा तीन से चार गेट होने चाहिए। हर गेट पर 24 घंटे कम से कम तीन गार्ड होने तैनात रहने चाहिए। पुलिस कंट्रोल रूम और स्थानीय थाने के टेलीफोन नंबर का विवरण मौजूदा होना चाहिए तथा जरूरत पड़ने पर समय समय पर स्कूल के अधिकारियों की ओर से इसमें सुधार होना चाहिए।'
बीते 16 दिसंबर को पाकिस्तान के पेशावर के एक सैनिक स्कूल में तालिबान आतंकवादियों ने 132 बच्चों सहित 148 लोगों का नरसंहार कर दिया था। इस घटना के मद्देनजर सरकार ने ये दिशानिर्देश जारी किए हैं।
गृह मंत्रालय की ओर से तैयार एसओपी में कहा गया कि स्कूल परिसर के चारों ओर रोशनी का प्रबंध होना चाहिए ताकि कोई नापाक हरकत के लिए रात के समय दीवार लांघकर भीतर नहीं दाखिल हो सके। दीवार पर लोहे की छड़ के उपर कंटीले तार लगे होने चाहिए ताकि कोई दीवार से छलांग नहीं लगा सके। स्कूलों को यह भी सलाह दी गई है कि स्कूल की परिसीमा तथा परिसर के भीतर सीसीटीवी की व्यवस्था हो तथा कम से कम तीन दिनों की रिकॉडिंग की सुविधा हो ताकि किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की गतिविधि पर निगरानी रखी जा सके। स्कूलों को सलाह दी गई है कि सीसीटीवी अलार्म कुछ चिन्हित गेट से जुड़ा हुआ हो ताकि वे जरूरत पड़ने पर खुद ब खुद बंद हो सकें।
एसओपी के अनुसार अगर आतंकवादी स्कूल में दाखिल हो जाते हैं और शिक्षकों-बच्चों और दूसरे लोगों को बंधक बना लेते हैं तो पुलिस को तत्काल सूचित किया जाए और बच्चों को अपने संबंधित कक्षाओं एवं बरामदे में रहने दिया जाए तथा दरवाजे की ओर भागने जैसी कोई अफरा-तफरी वाली हरकत नहीं की जाए।
इसमें कहा गया है कि हमले की स्थिति में बच्चे और दूसरे लोग कमरों में खुद को बंद कर लें और एकाएक गोलीबारी से बचने के लिए नीचे लेट जाएं।
इसके मुताबिक अगर आतंकवादियों की जगह के बारे में पता हो और किसी दूसरे गेट से बाहर निकलने की गुंजाइश हो तो शिक्षकों के नेतृत्व में बिना शोरगुल मचाए बच्चों को बाहर निकाला जाए।
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