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This Article is From Aug 05, 2016

घाटी में तनाव पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी, बताया हिंसा में 42 नागिरक मारे गए हैं

घाटी में तनाव पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी, बताया हिंसा में 42 नागिरक मारे गए हैं
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के हालात को लेकर राज्यपाल शासन लागू करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट सौपीं है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर मे 8 जुलाई से शुरू हुई हिंसा में तीन अगस्त तक कुल 872 घटनाओं में 42 नागरिकों की मौत हुई जबकि 2656 नागरिक जख्मी हुए हैं. इस दौरान 3783 सुरक्षाकर्मी घायल हुए जबकि दो सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई है.

सबसे ज्यादा हिंसा दस जुलाई को हुई जब कश्मीर में 153 घटनाएं हुई लेकिन अब हालात सुधर रहे हैं पहले 22 में से दस जिलों में कर्फ्यू था और अब सिर्फ तीन जगह श्रीनगर शहर, अनंतनाग शहर और पुलवामा में कर्फ्यू है. केंद्र ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा है कि असामाजिक तत्वों ने बुरहान वानी की मौत को सोशल मीडिया के जरिए फैलाया और स्थानीय मस्जिदों से आजादी की नारेबाजी कर युवाओं को पथराव के लिए उकसाया।
 

कश्मीर की हक़ीकत क्या है
रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर में दवाओं, आपातकाल चिकित्सा सेवा, खाद्य सामग्री और बाकी सेवाएं सुचारू रूप से चल रहीं हैं. अमरनाथ यात्रा जारी है और अभी तक 2,11,707 यात्री दर्शन कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट 22 अगस्त को मामले की सुनवाई करेगा.

गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि जम्मू कश्मीर में जमीनी हकीकत क्या है? दरअसल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में पिछले दो हफ्ते से 'बंदूक का राज' चल रहा है. लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, राज्य में जैसे मार्शल लॉ चल रहा है. लोग जेल कैदियों से भी बदतर हालात में रह रहे हैं, उनके पास ना खाना है, नलों में पानी नहीं है और दवा तक नहीं है. राज्य में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है.

याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल को निर्देश दे कि वह राज्य के संविधान के सेक्शन 92 के तहत सारा प्रशासनिक कामकाज अपने हाथों में ले लें ताकि राज्य में सुरक्षा बहाल हो सके. साथ ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा हो सके, यही नहीं राज्यपाल को विधानसभा भंग करने के निर्देश दिए जाएं क्योंकि वह वर्तमान हालात में अपना दायित्व निभाने में नाकाम रही है. याचिका में यह भी कहा गया है कि सरकार को अमरनाथ यात्रा पर लगाई रोक हटाने के आदेश जारी किए जाने चाहिए.

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