केंद्रीय कर्मचारियों की अदालत सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल यानी कैट ने 2002 बैच के आईएफएस अधिकारी और एम्स के पूर्व सीवीओ संजीव चतुर्वेदी की याचिका सुनते हुए केंद्र सरकार के एक फैसले पर रोक लगा दी है। संजीव चतुर्वेदी हरियाणा काडर के वन अधिकारी हैं और उन्होंने अपनी जान को खतरा बताते हुए अपना काडर हरियाणा से बदल कर उत्तराखंड करने की मांग की थी।
हरियाणा और उत्तराखंड सरकार से सहमति लेने के बाद वन और पर्यावरण मंत्रालय ने ये प्रस्ताव प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली कैबिनेट कमेटी ऑन अपॉन्टेमेंट (सीसीए) को भेजा था। लेकिन पिछले दिनों सीसीए ने जब ये प्रस्ताव रोक दिया तो चतुर्वेदी ने इसके खिलाफ कैट में गुहार लगाई थी।
चतुर्वेदी अभी डेप्युटेशन पर केंद्र सरकार में कार्यरत हैं। उन्हें पिछले साल एम्स के सीवीओ पद से हटा दिया गया था। उस वक्त ये बात सामने आई थी कि खुद सांसद (अभी स्वास्थ्य मंत्री) जे पी नड्डा ने उन्हें हटाने के लिए सरकार को चिट्ठियां लिखी। इसी बीच चतुर्वेदी ने अपना काडर बदलने के लिए केंद्र सरकार में अर्जी दी थी ताकि उन्हें वापस हरियाणा न जाना पड़े। कैट ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी के फैसले पर रोक लगाई है जो काफी अहम माना जा रहा है।
इस मामले पर अगली सुनवाई 26 फरवरी को होनी है। इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संजीव चतुर्वेदी को अपना ओएसडी बनाने के लिए केंद्र सरकार से मांग की है। इस बारे में दो दिन पहले केजरीवाल ने वन और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को चिट्ठी लिखी थी लेकिन अभी तक चतुर्वेदी को पदमुक्त नहीं किया गया है।
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