दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आया है कि जो भी उपद्रवी पत्थरबाजी कर रहे थे उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) की लाइब्रेरी का इस्तेमाल खुद को सेफ करने के लिए किया. जांच में सामने आया है कि पुलिस ने सारे छात्रों को जिनमें पत्थरबाज भी शामिल थे सबको बाहर निकाला. जामिया में दो लाइब्रेरी हैं एक ओल्ड लाइब्रेरी और एक न्यू लाइब्रेरी. ओल्ड लाइबेरी को रीडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो 2 मंजिल में है, ग्राउंड फ्लोर पर करीब 200 छात्रों के बैठने की जगह है. फर्स्ट और सेकंड फ्लोर पर 50-50 छात्रों के बैठने की जगह है.
न्यू लाइबेरी में 3 तरफ से जाने का रास्ता है, पहला मस्जिद के पास से, दूसरा गेट नंबर 4 से और तीसरा गेट नंबर 7 से. सीसीटीवी फुटेज से साफ है कि पहले पुलिस पर पथराव किया गया और उसके बाद उपद्रवियों ने खुद को बचाने के लिए लाइबेरी का सहारा लिया.
पुलिस का कहना है कि जब पुलिस पर पथराव ज्यादा होने लगा और उपद्रवी लाइबेरी में घुस गए तब पुलिस उपद्रवियों को पकड़ने के लिए अंदर घुसी और बल प्रयोग किया, जिस सीसीटीवी फुटेज में पुलिस लाठी मारती नज़र आ रही है वो ओल्ड लाइबेरी की फुटेज है.
बताते चले कि जामिया में पुलिस द्वारा छात्रों से मारपीट करने और पुलिस पर पथराव के अब तक कई वीडियो सामने आ चुके हैं. एक बार फिर कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिनमें जामिया के कथित छात्र पुलिस पर पथराव करते नजर आ रहे हैं. वीडियो में पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले दागे जाने की घटना भी साफ नजर आ रही है. दिल्ली पुलिस ने इन वीडियो को जारी किया है.
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पुलिस का दावा है कि 15 दिसंबर, 2019 को हुई हिंसक घटना के लिए प्रदर्शनकारी ही जिम्मेदार हैं. प्रदर्शनकारी पुलिस से बचने के लिए उस बिल्डिंग में घुस गए थे, जहां लाइब्रेरी है. पुलिस का दावा है कि वह उस दिन हिंसा के लिए जिम्मेदार प्रदर्शनकारियों का पीछा करते हुए जामिया परिसर में घुसी थी.
जारी किए गए वीडियो कैंपस में लगे सीसीटीवी के हैं. वीडियो में साफ दिख रहा है कि वहां खड़े लोग भागते हुए लाइब्रेरी की बिल्डिंग में घुस जाते हैं. उनमें से कुछ कथित छात्र पुलिस पर पथराव करते भी दिख रहे हैं. इससे पहले सामने आ चुके वीडियो में नकाब पहने छात्र भी लाइब्रेरी की ओर भागते दिखे थे. छात्रों का आरोप है कि पुलिस जबरन लाइब्रेरी में घुसी थी और उन्होंने वहां पढ़ रहे छात्रों पर लाठीचार्ज किया था. जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी (JCC) की ओर से यह वीडियो जारी किए गए थे.
जिसके बाद वीडियो रिलीज किए जाने का सिलसिला शुरू हो गया. दिल्ली पुलिस ने अपने पक्ष में भी जामिया के कुछ वीडियो जारी किए. इन वीडियो में छात्रों के पुलिस पर पथराव करने की तस्दीक हुई. इससे पहले पुलिस ने दावा किया था कि वह लाइब्रेरी में दाखिल नहीं हुई थी. JCC द्वारा जारी किए गए वीडियो में पुलिस का यह दावा झूठा साबित हुआ था. दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता एमएस रंधावा ने कहा था, 'वहां असाधारण स्थिति थी. पुलिस उन इलाकों में दाखिल हुई थी, जहां आंसू गैस का इस्तेमाल किया जा सकता था.'
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बताते चलें कि पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. दिल्ली में भी कई हिंसक घटनाएं सामने आई थीं. जामिया इलाके में प्रदर्शनकारियों पर बस को आग लगाने का आरोप लगा. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया. देर रात पुलिस जामिया मिल्लिया इस्लामिया में दाखिल हुई और छात्रों पर लाठीचार्ज किया. जामिया के छात्र पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन पुलिस के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा चुका है.
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