राजस्थान के फाइव स्टार होटल बिक्री मामले में अरुण शौरी को बनाएं आरोपी, CBI कोर्ट ने कहा

राजस्थान के उदयपुर के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल के विनिवेश से जुड़े साल 2002 के एक भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी का नाम आया है. केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) की एक स्पेशल कोर्ट ने मामले में शौरी का नाम मुख्य आरोपी के तौर पर लिया है.

खास बातें

  • लग्ज़री होटल के विनिवेश में सरकार को हुआ था घाटा
  • उस वक्त केंद्र में विनिवेश मंत्री थे अरुण शौरी
  • स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने केस दर्ज करने के आदेश दिए
नई दिल्ली:

राजस्थान के उदयपुर के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल (Laxmi Vilas Palace Hotel) के विनिवेश (Hotel Disinvestment) से जुड़े साल 2002 के एक भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी (Arun Shourie) का नाम आया है. केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) की एक स्पेशल कोर्ट ने मामले में शौरी का नाम मुख्य आरोपी के तौर पर लिया है. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में अरुण शौरी, पूर्व नौकरशाह प्रदीप बैजल और हॉटेलियर ज्योत्सना सूरी के खिलाफ केस दर्ज होना चाहिए. कोर्ट चाहता है कि होटल की बिक्री को दोबारा शुरू किया जाए. अदालत ने कहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विनिवेश मंत्री रहे अरुण शौरी की निगरानी में इस होटल को बड़े घाटे में बेचा गया था. कोर्ट ने बताया कि उस वक्त होटल लक्ष्मी विलास की कीमत 252 करोड़ थी, लेकिन इसे 7.5 करोड़ में बेचा गया था. 

CBI ने पिछले साल ही दे दी थी क्लोज़र रिपोर्ट
सीबीआई ने 2002 के इस मामले में पिछले साल एक क्लोज़र रिपोर्ट फाइल कर दी थी. उसका कहना था कि इस केस में उसके पास 'कोई सबूत नहीं' है. एजेंसी का कहना था कि 'यह निष्कर्ष निकलता है कि उदयपुर के लक्ष्मी विलास पैलेस की पूरी विनिवेश प्रक्रिया में केस दर्ज करने योग्य कोई सबूत नहीं मिला है.' लेकिन जोधपुर की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया और आगे जांच जारी रखने को कहा था. 

अरुण शौरी ने कोर्ट के आदेश पर कहा है कि 'मैंने आदेश की कॉपी नहीं देखी है, वकील पहले आदेश पढ़ेंगे, उसके बाद हम फैसला लेंगे कि क्या करना है.'

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NDTV को एजेंसी की रिपोर्ट मिली है, इसके मुताबिक इस सरकारी लग्ज़री होटल के विनिवेश में सरकार को 143.48 करोड़ के आसपास घाटा पहुंचाया गया है और इसमें शामिल व्यक्ति/लोगों को फायदा हुआ है. लेकिन एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में इसके लिए एक प्राइवेट फर्म M/s Kanti Karamsey and company की ओर से की गई होटल की कीमत लगाने में गड़बड़ी को जिम्मेदार ठहरया है. एजेंसी ने कहा कि प्रॉपर्टी की कीमत 7.85 करोड़ आंकी गई थी, और इस मूल्याकंन पर रिज़र्व प्राइस 6.12 करोड़ पर फिक्स किया गया था. 

45 रुपए प्रति वर्ग गज आंकी गई थी जमीन की कीमत
सीबीआई ने 13 अगस्त, 2014 को प्रारंभिक जांच के आधार पर एक केस दर्ज किया था, जिसमें प्रदीप बैजल पर विनिवेश प्रक्रिया में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था. सीबीआई के क्लोज़र रिपोर्ट पर कोर्ट ने कहा, '1992 से 2002 के बीच में कुछ अज्ञात अधिकारियों और कुछ निजी लोगों ने सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की यह साजिश रची. उस वक्त जमीन की कीमत 45 रुपए प्रति वर्ग गज आंकी गई थी. उस होटल का एक चम्मच भी इससे महंगा होगा.'

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फतेह सागर झील के किनारे पर स्थित फाइव स्टार होटल लक्ष्मी विलास पैलेस पहले शाही संपत्ति था, अब इसका नाम ललित लक्ष्मी विलास पैलेस कर दिया गया है. यह उदयपुर के पूर्व राजाओं की संपत्ति थी. रियासतों के विलय के दौरान इस प्रॉपर्टी को सरकार को दे दिया गया था. आजादी के बाद सरकार ने इसे होटल की तरह चलाया. 2002 में ललित सूरी ग्रुप ऑफ होटेल्स ने इसे विनिवेश प्रक्रिया के बाद खरीद लिया था.

Video: जोधपुर की विशेष सीबीआई अदालत ने अरुण शौरी समेत पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने का दिया आदेश

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