केन्द्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई के सीधे प्रधानमंत्री के अधीन होने पर चिंता व्यक्त करते हुए पूर्व नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) विनोद राय का कहना है कि 'पुलिस के वर्चस्व' वाली यह एजेंसी कैग अथवा चुनाव आयोग की तरह स्वतंत्र या स्वायतशासी नहीं हो सकती।
कोयला और 2-जी घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आलोचना करने वाले विनोद राय का कहना है कि सीबीआई का जो नियंत्रण ढांचा है उसमें एजेंसी आसानी के साथ आलोचाना और अटकलबाजी का खेल खेला जा सकता है। विनोद राय ने अपनी पुस्तक 'दि डायरी ऑफ दि नेशंस कान्शंस कीपर -- नॉट जस्ट एन एकाउंटेंट' में लिखा है, 'यह सच है कि पुलिस वर्चस्व वाली यह जांच एजेंसी कैग और चुनाव आयोग को मिली स्वायतता अथवा स्वतंत्रता हासिल नहीं कर सकती है।'
राय ने इस पुस्तक में 2008 से 2013 के दौरान कैग के तौर पर अपने अनुभवों के बारे में लिखा है, लेकिन सीबीआई की स्वायतता और स्वतंत्रता को लेकर भी इसमें लंबी बहस की गई है। इत्तेफाक से यह मुद्दा ऐसे समय सामने आया है जब मौजूदा सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की 2-जी और कोयला घोटाला जांच के दायरे में आए लोगों से उनकी कथित मुलाकात को लेकर विवाद खड़ा हुआ है। विनोद राय ने माना कि एक के बाद एक सरकारें और राजनीतिक दल सभी सीबीआई की आलोचना करती रहीं हैं। लेकिन इनमें से किसी ने भी सत्ता में आने पर सीबीआई के प्रशासनिक नियंत्रण ढांचे को ठीक करने का प्रयास नहीं किया।
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