सीबीआई में घूसखोरी कांड: राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
देश के बड़े-बड़े मामलों की जांच कर झूठ का पर्दाफाश करने वाली देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) आज खुद जांच के दायरे में है. इतना ही नहीं, नंबर 1 और नंबर 2 के बीच लड़ाई के बाद अब खुद सीबीआई सवालों के घेरे में है. सीबीआई ने पहले तो अपने ही दफ्तर में छापा मारा और फिर बाद में एक अधिकारी को गिरफ्तार किया. छापेमारी के बाद सीबीआई ने कुरैशी मामले की जांच कर रहे डीएसपी को गिरफ्तार किया. बाद में मंगलवार को कोर्ट ने घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किये गए एजेंसी के डीएसपी देवेंद्र सिंह को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया. दरअसल, इस मामले में राकेश अस्थाना पर घूस लेने के बाद तकरार तब शुरू हुआ, जब राकेश अस्थाना ने सीबीआई के चीफ आलोक वर्मा पर भी घूस लेने का आरोप लगाया. सीबीआई ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर केस दर्ज किया. अस्थाना पर आरोप है कि उन्होंने मांस कारोबारी मोइन कुरैशी से 3 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी. तो चलिए जानते हैं कि सीबीआई बनाम सीबीआई के इस महासंग्राम में किन-किन लोगों का नाम सामने आया है और ये लोग क्यों हैं मीडिया की सुर्खियों में....
सीबीआई में घूसकांडः आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना छुट्टी पर भेजे गए, नागेश्वर राव को जिम्मेदारी
कौन हैं सीबीआई चीफ आलोक वर्मा (Alok Verma):
आलोक वर्मा 1979 बैच के यूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. एक फरवरी, 2017 से सीबीआई के चीफ हैं. दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से डिग्री ली है. अपनी मौजूदा पोस्टिंग से पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर थे. इससे पूर्व वे तिहाड़ जेल के महानिदेशक के रूप में काम कर चुके हैं. दरअसल, सीबीआई के इस तरकराक की वजह से इन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया है.
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कौन हैं स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana):
राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) 1984 बैच के गुजरात कैडर के IPS हैं. वह पहली बार साल 1996 में चर्चा में आए, जब उन्होंने चारा घोटाला मामले में लालू यादव को गिरफ्तार किया. दूसरी तरफ, 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी की जांच के लिए गठित SIT का नेतृत्व भी राकेश अस्थाना ने ही किया था. इसके अलावा वह अहमदाबाद ब्लास्ट और आसाराम केस जैसे तमाम चर्चित मामलों की जांच में शामिल रहे हैं. आपको बता दें कि राकेश अस्थाना को पिछले साल अक्टूबर में सीबीआई का स्पेशल डायरेक्टर नियुक्त किया गया था. CBI में यह उनकी दूसरी पारी है. इससे पहले वह अतिरिक्त निदेशक के पद पर काम कर चुके हैं. वडोदरा और सूरत के पुलिस कमिश्नर रहे राकेश अस्थाना को पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का करीबी भी माना जाता है.
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कौन हैं देवेंद्र कुमार (Devendra Kumar):
देवेंद्र कुमार सीबीआई में डीएसपी हैं. हालांकि, इन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है और कोर्ट ने पुलिस हिरासत में भेज दिया है. देवेंद्रमोइन कुरैशी से जुड़े मामले में जांच अधिकारी थे. उन्हें सतीश सना का बयान दर्ज करने में फर्जीवाड़े के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. सीबीआई का आरोप है कि सना ने मामले में राहत पाने के लिए कथित तौर पर देवेंद्र को रिश्वत दी थी.
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कौन है मोइन अख्तर कुरैशी (Moin Qureshi):
मोइन अख्तर कुरैशी रामपुर स्थित भारतीय मांस निर्यातक है. उन्होंने 1993 में उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक छोटा सा वधशाला शुरू किया और भारत में सबसे बड़े मांस निर्यातकों में से एक बन गया. मोइन ने देहरादून के डून स्कूल और दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी की. 1993 के बाद से कुरैशी ने कंस्ट्रक्शन और फैशन से लेकर हर तरह की 25 कंपनियां खोल रखी हैं. AMQ Agro इनका सबसे बड़ा ब्रांड है, जो कि मीट का है. 1995 से ही मोईन कुरैशी पॉण्टी चड्ढा का दोस्त रहा है. मोइन को 2014 में, सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के निवास पर मोइन कुरैशी को आगंतुकों की डायरी में नामित किया गया था.
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कौन है सतीश बाबू सना:
दरअसल, सतीश बाबू सना हैदराबाद के उद्योगपति रहा है. वह पहले सरकार नौकरी में था, मगर बाद में उन्होंने नौकरी छोड़कर कई कंपनियों में काम किया. कारोबारी सतीश सना का आरोप है कि सीबीआई जांच से बचने के लिए उन्होंने दिसंबर 2017 से अगले दस महीने तक क़रीब दो करोड़ रुपए रिश्वत ली.
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क्या है पूरा (CBI vs CBI) मामला :
CBI ने अपने स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ एक FIR दर्ज कराई है. इस FIR में अस्थाना पर मीट कारोबारी मोइन क़ुरैशी के मामले में जांच के घेरे में चल रहे एक कारोबारी सतीश सना से दो करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप है. सीबीआई में नंबर दो की हैसियत रखने वाले. राकेश अस्थाना इस जांच के लिए बनाई गई एसआईटी के प्रमुख हैं. कारोबारी सतीश सना का आरोप है कि सीबीआई जांच से बचने के लिए उन्होंने दिसंबर 2017 से अगले दस महीने तक क़रीब दो करोड़ रुपए रिश्वत ली.
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क्या है राकेश अस्थाना का पक्ष :
FIR दर्ज होने के बाद राकेश अस्थाना ने CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा (Alok Verma) पर पलटवार करते हुए उन पर ही रिश्वतखोरी का आरोप लगाया है. अस्थाना ने सरकार को एक पत्र लिखकर गलत एफआईआर दर्ज करने का आरोप लगाया है. अस्थाना का दावा है कि सतीश सना कि यह शिकायत सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के कुछ अधिकारियों की साजिश है. उन्होंने सीबीआई चीफ और सीवीसी अरुण शर्मा के खिलाफ भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. अस्थाना ने बताया कि उन्होंने अगस्त में ही कैबिनेट सचिव को इन शीर्ष अधिकारियों के भ्रष्टाचार के 10 उदाहरण, आपराधिक कदाचार, संवेदनशील मामलों की जांच में हस्तक्षेप की जानकारी दी थी.
VIDEO: प्राइम टाइम: सीबीआई में जंग, सरकार की भूमिका पर सवाल?
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कौन हैं सीबीआई चीफ आलोक वर्मा (Alok Verma):
आलोक वर्मा 1979 बैच के यूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. एक फरवरी, 2017 से सीबीआई के चीफ हैं. दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से डिग्री ली है. अपनी मौजूदा पोस्टिंग से पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर थे. इससे पूर्व वे तिहाड़ जेल के महानिदेशक के रूप में काम कर चुके हैं. दरअसल, सीबीआई के इस तरकराक की वजह से इन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया है.
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राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) 1984 बैच के गुजरात कैडर के IPS हैं. वह पहली बार साल 1996 में चर्चा में आए, जब उन्होंने चारा घोटाला मामले में लालू यादव को गिरफ्तार किया. दूसरी तरफ, 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी की जांच के लिए गठित SIT का नेतृत्व भी राकेश अस्थाना ने ही किया था. इसके अलावा वह अहमदाबाद ब्लास्ट और आसाराम केस जैसे तमाम चर्चित मामलों की जांच में शामिल रहे हैं. आपको बता दें कि राकेश अस्थाना को पिछले साल अक्टूबर में सीबीआई का स्पेशल डायरेक्टर नियुक्त किया गया था. CBI में यह उनकी दूसरी पारी है. इससे पहले वह अतिरिक्त निदेशक के पद पर काम कर चुके हैं. वडोदरा और सूरत के पुलिस कमिश्नर रहे राकेश अस्थाना को पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का करीबी भी माना जाता है.
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देवेंद्र कुमार सीबीआई में डीएसपी हैं. हालांकि, इन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है और कोर्ट ने पुलिस हिरासत में भेज दिया है. देवेंद्रमोइन कुरैशी से जुड़े मामले में जांच अधिकारी थे. उन्हें सतीश सना का बयान दर्ज करने में फर्जीवाड़े के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. सीबीआई का आरोप है कि सना ने मामले में राहत पाने के लिए कथित तौर पर देवेंद्र को रिश्वत दी थी.
सीबीआई की पार्वती और पारो में किसे चुनेंगे देवदास हुजूर...
कौन है मोइन अख्तर कुरैशी (Moin Qureshi):
मोइन अख्तर कुरैशी रामपुर स्थित भारतीय मांस निर्यातक है. उन्होंने 1993 में उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक छोटा सा वधशाला शुरू किया और भारत में सबसे बड़े मांस निर्यातकों में से एक बन गया. मोइन ने देहरादून के डून स्कूल और दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी की. 1993 के बाद से कुरैशी ने कंस्ट्रक्शन और फैशन से लेकर हर तरह की 25 कंपनियां खोल रखी हैं. AMQ Agro इनका सबसे बड़ा ब्रांड है, जो कि मीट का है. 1995 से ही मोईन कुरैशी पॉण्टी चड्ढा का दोस्त रहा है. मोइन को 2014 में, सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के निवास पर मोइन कुरैशी को आगंतुकों की डायरी में नामित किया गया था.
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कौन है सतीश बाबू सना:
दरअसल, सतीश बाबू सना हैदराबाद के उद्योगपति रहा है. वह पहले सरकार नौकरी में था, मगर बाद में उन्होंने नौकरी छोड़कर कई कंपनियों में काम किया. कारोबारी सतीश सना का आरोप है कि सीबीआई जांच से बचने के लिए उन्होंने दिसंबर 2017 से अगले दस महीने तक क़रीब दो करोड़ रुपए रिश्वत ली.
CBI के भीतर चल रही 'जंग' को लेकर कांग्रेस का PM मोदी पर हमला, पूछे इन 5 सवालों के जवाब...
क्या है पूरा (CBI vs CBI) मामला :
CBI ने अपने स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ एक FIR दर्ज कराई है. इस FIR में अस्थाना पर मीट कारोबारी मोइन क़ुरैशी के मामले में जांच के घेरे में चल रहे एक कारोबारी सतीश सना से दो करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप है. सीबीआई में नंबर दो की हैसियत रखने वाले. राकेश अस्थाना इस जांच के लिए बनाई गई एसआईटी के प्रमुख हैं. कारोबारी सतीश सना का आरोप है कि सीबीआई जांच से बचने के लिए उन्होंने दिसंबर 2017 से अगले दस महीने तक क़रीब दो करोड़ रुपए रिश्वत ली.
कांग्रेस ने पूछा- पीएम मोदी ने CBI और RAW के प्रमुखों को अपने आवास पर क्यों बुलाया?
क्या है राकेश अस्थाना का पक्ष :
FIR दर्ज होने के बाद राकेश अस्थाना ने CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा (Alok Verma) पर पलटवार करते हुए उन पर ही रिश्वतखोरी का आरोप लगाया है. अस्थाना ने सरकार को एक पत्र लिखकर गलत एफआईआर दर्ज करने का आरोप लगाया है. अस्थाना का दावा है कि सतीश सना कि यह शिकायत सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के कुछ अधिकारियों की साजिश है. उन्होंने सीबीआई चीफ और सीवीसी अरुण शर्मा के खिलाफ भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. अस्थाना ने बताया कि उन्होंने अगस्त में ही कैबिनेट सचिव को इन शीर्ष अधिकारियों के भ्रष्टाचार के 10 उदाहरण, आपराधिक कदाचार, संवेदनशील मामलों की जांच में हस्तक्षेप की जानकारी दी थी.
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