सुब्रमण्यम स्वामी की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सरकार से कहा कि वह दक्षिण चीन सागर विवाद में संयुक्त राष्ट्र न्यायाधिकरण की ओर से दिए गए आदेश का 'सावधानी से आकलन करे' क्योंकि हो सकता है कि कल इस तरह का कोई न्यायाधिकरण जम्मू-कश्मीर पर बैठा दिया जाए।
दक्षिण चीन सागर में चीन के अधिकार वाले क्षेत्र को फिलीपिन्स द्वारा चुनौती दिए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र समर्थित पंचाट ने मंगलवार को अपने फैसले में साफ कहा कि चीन का इस सागर पर किसी तरह का 'कोई ऐतिहासिक अधिकार' नहीं है। वहीं चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा है कि चीन कभी अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा, और चेताया कि उनका 'देश मुसीबतों से नहीं डरता' है।
स्वामी ने ट्वीट किया, 'अमेरिका ने 1986 में निकारागुआ आक्रमण पर संयुक्त राष्ट्र न्यायाधिकरण की ओर से की गई इसी तरह की जांच और फैसले को मानने से इनकार कर दिया था।' उन्होंने कहा कि न्यायाधिकरण के इस आदेश का भारत को 'सावधानी से आकलन' करना चाहिए।
न्यायाधिकरण के आदेश में कहा गया है कि दक्षिण चीन सागर में द्वीपों पर चीन के 'ऐतिहासिक अधिकार' के दावे का कोई कानूनी आधार नहीं है।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
दक्षिण चीन सागर में चीन के अधिकार वाले क्षेत्र को फिलीपिन्स द्वारा चुनौती दिए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र समर्थित पंचाट ने मंगलवार को अपने फैसले में साफ कहा कि चीन का इस सागर पर किसी तरह का 'कोई ऐतिहासिक अधिकार' नहीं है। वहीं चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा है कि चीन कभी अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा, और चेताया कि उनका 'देश मुसीबतों से नहीं डरता' है।
The ruling against China by a UN Tribunal over South China sea islands must be cautiously assessed. Tomorrow such a Tribunal can sit on J&K.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 12, 2016
स्वामी ने ट्वीट किया, 'अमेरिका ने 1986 में निकारागुआ आक्रमण पर संयुक्त राष्ट्र न्यायाधिकरण की ओर से की गई इसी तरह की जांच और फैसले को मानने से इनकार कर दिया था।' उन्होंने कहा कि न्यायाधिकरण के इस आदेश का भारत को 'सावधानी से आकलन' करना चाहिए।
US in a similar investigation in 1986 by a UN Tribunal on the Nicaragua invasion refused to accept the Tribunal verdict
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 12, 2016
न्यायाधिकरण के आदेश में कहा गया है कि दक्षिण चीन सागर में द्वीपों पर चीन के 'ऐतिहासिक अधिकार' के दावे का कोई कानूनी आधार नहीं है।
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