डीआरआई की छापेमारी में सोना भी जब्त हुआ है.
नोएडा:
नोएडा में एसईजेड की श्रीलाल महल लिमिटेड कंपनी ने नोटबंदी के बाद 140 करोड़ रुपये के कालाधन को 430 किलो सोने में ऐडजस्ट कर लिया. जेवरात निर्यात के लिए मंगाए गए सोने को कंपनी ने अवैध तरीके से भारतीय बाजार में बेच दिया. नोटबंदी के बाद कालाधन को सफेद करने के इस सबसे बड़े खेल का पर्दाफाश डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआइ) नोएडा की एक छापामारी के बाद हुआ है.
जानकारी के अनुसार नोएडा में डीआरआइ की टीम ने 22 और 23 दिसंबर को कंपनी के नोएडा और दिल्ली के कई ठिकानों पर छापेमारी कर 15 किलो सोने के आभूषण, 80 किलोग्राम चांदी की छड़ें और 2.60 करोड़ रुपये नकद जब्त किया. डीआरआई द्वारा बरामद नकदी में 2.48 करोड़ रुपये के एक हजार और पांच सौ के पुराने नोट हैं, जबकि 12 लाख रुपये 2000 और 500 के नए नोट में हैं.
छापेमारी के बाद कंपनी के सभी निदेशक खुद को बीमार बता कर अस्पताल में भर्ती हो गए हैं. नोएडा में डीआरआइ पांच लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है. डीआरआइ अधिकारी ने बताया कि नोएडा एसईजेड के फेज दो में श्रीलाल महल लिमिटेड कंपनी विदेश से शून्य एक्साइज पर सोना मंगाकर उसके गहने तैयार करती रही है. यहां तैयार सोने के जेवर जिसे सिर्फ निर्यात किए जा सकते थे. 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद कंपनी ने 430 किलोग्राम सोना मंगाया. जिसे निर्यात करने की बजाय भारत के घरेलू बाजार में बेच दिया. बताया जा रहा है कि इसकी कीमत अनुमान के अनुसार 140 करोड़ रुपये है.
भारत के धातु और खनिज व्यापार निगम लिमिटेड (एमएमटीसी) के माध्यम से भी कंपनी ने विदेश से बड़े पैमाने पर नोटबंदी के बाद सोने की खरीदारी की है. इसके लिए कंपनी ने अपने एक फर्म में आरटीजीएस के माध्यम से बड़ी रकम ट्रांसफर की. इस रकम का इस्तेमाल विदेश से सोना खरीदने में किया गया.
डीआरआइ को जानकारी मिली है कि जिस फर्म के जरिये एमएसटीसी से सोना खरीदा गया, उसी फर्म के माध्यम से श्रीलाल महल ने पुराने नोट के बदले भारतीय बाजार में सोना बेच दिया. डीआइआइ अधिकारी अब जांच में जुटे हैं कि भारत में किन-किन लोगों को सोना बेचा गया है. हेराफेरी के बारे में केंद्र सरकार समेत आयकर विभाग व अन्य केंद्रीय एजेंसियों को जानकारी दे दी गई है.
दिल्ली की डीआरआइ टीम ने 19 दिसंबर को नोएडा के एनएसईजेड स्थित सोना निर्यातक कंपनी महालक्ष्मी ज्वैलर्स में छापा मारा था. इसमें पता चला था कि दुबई से 150 किलोग्राम सोना आयात किया गया था, लेकिन निर्यात के नाम पर तांबे की बनी ज्वैलरी पर सोने की पालिस कर दिल्ली कार्गो पर भेज दिया गया. आयात सोना को काला धन खपाने के लिए भारतीय बाजार में बेंच दिया गया था. डीआरआइ टीम ने सोना पालिस तांबे के 40 किलोग्राम सोने की ज्वैलरी को जब्त भी किया था. इसके बाद से ही डीआरआइ के निशाने पर नोएडा विशेष आर्थिक जोन में स्थित ज्वैलरी निर्माण कंपनियां आ गई थीं.
जानकारी के अनुसार नोएडा में डीआरआइ की टीम ने 22 और 23 दिसंबर को कंपनी के नोएडा और दिल्ली के कई ठिकानों पर छापेमारी कर 15 किलो सोने के आभूषण, 80 किलोग्राम चांदी की छड़ें और 2.60 करोड़ रुपये नकद जब्त किया. डीआरआई द्वारा बरामद नकदी में 2.48 करोड़ रुपये के एक हजार और पांच सौ के पुराने नोट हैं, जबकि 12 लाख रुपये 2000 और 500 के नए नोट में हैं.
छापेमारी के बाद कंपनी के सभी निदेशक खुद को बीमार बता कर अस्पताल में भर्ती हो गए हैं. नोएडा में डीआरआइ पांच लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है. डीआरआइ अधिकारी ने बताया कि नोएडा एसईजेड के फेज दो में श्रीलाल महल लिमिटेड कंपनी विदेश से शून्य एक्साइज पर सोना मंगाकर उसके गहने तैयार करती रही है. यहां तैयार सोने के जेवर जिसे सिर्फ निर्यात किए जा सकते थे. 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद कंपनी ने 430 किलोग्राम सोना मंगाया. जिसे निर्यात करने की बजाय भारत के घरेलू बाजार में बेच दिया. बताया जा रहा है कि इसकी कीमत अनुमान के अनुसार 140 करोड़ रुपये है.
भारत के धातु और खनिज व्यापार निगम लिमिटेड (एमएमटीसी) के माध्यम से भी कंपनी ने विदेश से बड़े पैमाने पर नोटबंदी के बाद सोने की खरीदारी की है. इसके लिए कंपनी ने अपने एक फर्म में आरटीजीएस के माध्यम से बड़ी रकम ट्रांसफर की. इस रकम का इस्तेमाल विदेश से सोना खरीदने में किया गया.
डीआरआइ को जानकारी मिली है कि जिस फर्म के जरिये एमएसटीसी से सोना खरीदा गया, उसी फर्म के माध्यम से श्रीलाल महल ने पुराने नोट के बदले भारतीय बाजार में सोना बेच दिया. डीआइआइ अधिकारी अब जांच में जुटे हैं कि भारत में किन-किन लोगों को सोना बेचा गया है. हेराफेरी के बारे में केंद्र सरकार समेत आयकर विभाग व अन्य केंद्रीय एजेंसियों को जानकारी दे दी गई है.
दिल्ली की डीआरआइ टीम ने 19 दिसंबर को नोएडा के एनएसईजेड स्थित सोना निर्यातक कंपनी महालक्ष्मी ज्वैलर्स में छापा मारा था. इसमें पता चला था कि दुबई से 150 किलोग्राम सोना आयात किया गया था, लेकिन निर्यात के नाम पर तांबे की बनी ज्वैलरी पर सोने की पालिस कर दिल्ली कार्गो पर भेज दिया गया. आयात सोना को काला धन खपाने के लिए भारतीय बाजार में बेंच दिया गया था. डीआरआइ टीम ने सोना पालिस तांबे के 40 किलोग्राम सोने की ज्वैलरी को जब्त भी किया था. इसके बाद से ही डीआरआइ के निशाने पर नोएडा विशेष आर्थिक जोन में स्थित ज्वैलरी निर्माण कंपनियां आ गई थीं.
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