यह ख़बर 01 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

मुम्बई में रक्षा भूमि सौदे पर सीएजी की भौंहे तनी

खास बातें

  • देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने संसद में पेश एक रिपोर्ट में मुम्बई के कांदीवली में एक रक्षा भूखंड की निजी बिल्डर को की गई बिक्री पर गम्भीर आपत्ति उठाई है।
मुम्बई:

देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने संसद में पेश एक रिपोर्ट में मुम्बई के कांदीवली में एक रक्षा भूखंड की निजी बिल्डर को की गई बिक्री पर गम्भीर आपत्ति उठाई है।

रिपोर्ट शुक्रवार को पेश किया गया। यह 5,166 वर्ग फुट भूखंड के बारे में है। सेना के केंद्रीय आयुध डिपो (सीओडी) के अधीन यह भूमि 1942 से थी।

भूमि को एक निजी कम्पनी को आवासीय भवन बनाने के लिए दे दिया गया। सीएजी ने अप्रैल 2011 में किए गए लेखापरीक्षण के बाद कहा कि यह सौदा रक्षा एस्टेट अधिकारी (डीईओ) द्वारा जारी अनियमित अनापत्ति प्रमाणपत्र के आधार पर किया गया।

रिपोर्ट में कहा गया कि हालांकि इस भूमि से जुड़ी कुछ भ्रष्ट गतिविधियों की जानकारी मिली है, लेकिन सीओडी मुम्बई राज्य सरकार से इस भूखंड को अपने नाम नहीं करा सकी।

डीईओ ने दिसम्बर 1981 तक इसके लिए किराया दिया, लेकिन इसके बाद कोई किराया नहीं दिया गया, क्योंकि राज्य सरकार ने बिल नहीं भेजा।

जून 1994 में मुम्बई उपशहरी जिला अधिकारी ने सेना को बताया कि एक निजी कम्पनी ने भूमि पर आवासीय भवन बनाने के लिए आवेदन किया और सेना से अनापत्ति प्रमाणपत्र मांगा गया।

अगस्त 1994 में सीओडी ने यह कह कर इसका विरोध किया था कि संवेदनशील क्षेत्र के आसपास बहुमंजिला इमारत नहीं बनाया जा सकता है। और इस मामले की जानकारी उसने डीईओ को दी थी।

बाद में अगस्त 1994 में ही कम्पनी के प्रतिनिधि से मुलाकात के बाद डीईओ ने अनापत्ति प्रमाणपत्र दे दिया लेकिन बहुमंजिला इमारत नहीं बनाने की शर्त रखी और इसकी जानकारी जिलाधिकारी को दे दी कि निजी पक्ष को भूखंड दिए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है।

रिपोर्ट के मुताबिक सीओडी को डीईओ द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाणपत्र के बारे में पता था, लेकिन उसने अपनी किराएदारी की पुष्टि के लिए कुछ नहीं किया और न ही अपनी चारदिवारी सुनिश्चित कराई।

करीब 13 सालों बाद जून 2007 में निजी कम्पनी के एक प्रतिनिधि ने जिलाधिकारी द्वारा जारी दो पत्रों की प्रति के साथ सीओडी से सम्पर्क किया।

सीएजी ने कहा कि असामान्य गति से जिलाधिकारी ने 5,166.50 वर्ग मीटर भूखंड उसे जारी कर दिया। इसकी कीमत बाजार मूल्य पर 5.94 करोड़ रुपये ली गई और नौ जुलाई 2007 को कब्जा दे दिया गया।

उसी महीने डीईओ ने जिलाधिकारी से भूमि बिक्री खारिज करने का अनुरेाध किया, जिसपर जिलाधिकारी ने कहा कि तत्कालीन राजस्व मंत्री ने भूमि की स्थिति की जांच की थी और इसकी पुष्टि की थी कि यह राज्य सरकार की भूमि है। इसके बाद ही इसे कम्पनी को जारी किया गया था।

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दो महीने बाद कम्पनी ने डीईओ को बताया कि उसका दावा स्वीकार कर लिया गया है और वह इस पर काम शुरू करेगी, लेकिन सीओडी अब भी उस भूमि पर सैनिक तैनात किए हुए है।