नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के विरोध में प्रदर्शन कर रहे वामपंथी नेता डी राजा, सीताराम येचुरी, निलोत्पल बसु, वृंदा करात सहित कई अन्य को मंडी हाउस में हिरासत में लिया गया. इनके अलावा स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव, पटियाला के पूर्व सांसद धर्मवीर गांधी, दिल्ली के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, दिल्ली यूनिट के स्वराज इंडिया के अध्यक्ष कर्नल जयवीर, आइसा के अध्यक्ष सुचेता दे, यूथ लीडर उमर खालिद, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के नेता नदीम खान को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.
सरकार के आदेश पर दिल्ली के कुछ इलाकों में बंद की वॉयस, SMS और इंटरनेट सेवाएं - एयरटेल
Delhi: Former JNU student and activist Umar Khalid amongst protesters detained by police for protesting against #CitizenshipAct, near Red Fort. pic.twitter.com/EqH8w2QSgH
— ANI (@ANI) December 19, 2019
गुरुवार को दिल्ली ही नहीं बल्कि देश के 11 बड़े शहरों में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन की शुरूआत हो गई है. दिल्ली पुलिस ने कानून व्यवस्था व ट्रैफिक का हवाला देते हुए राजधानी में किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी है. दिल्ली पुलिस ने लाल किला इलाके में धारा 144 लगा दी है. कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है. पटना, दिल्ली, लखनऊ, बेंगलुरू सहित कई शहरों में प्रदर्शनकारियों के सड़कों पर निकलने की खबरें मिली है. दिल्ली में इस नए कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को देखते हुए 18 मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया गया है.
#WATCH Karnataka: Police detained historian Ramachandra Guha during protest at Town Hall in Bengaluru, earlier today. #CitizenshipAct https://t.co/8jrDjtsOfm pic.twitter.com/P8csG0x9HN
— ANI (@ANI) December 19, 2019
दिल्ली में लाल किला क्षेत्र के आसपास लागू निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए बृहस्पतिवार को सैकड़ों लोगों ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में मार्च निकालने की कोशिश की जिसके बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया. मार्च निकालने की कोशिश कर रहे छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को बसों में भरकर ले जाया गया. हाथों में तख्तियां लिए हुए और नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने खुद को बसों में ले जाने दिया. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज दो विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. एक विरोध प्रदर्शन छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से आयोजित किया गया है जबकि दूसरा प्रदर्शन वामपंथी पार्टियों ने आहूत किया है. दोनों ही मार्च आईटीओ के निकट शाहीन पार्क में मिलेंगे.
बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) लोकसभा में 9 दिसंबर, 2019 को पास होने के बाद 11 दिसंबर, 2019 को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने पेश किया जहां एक लंबी बहस के बाद यह बिल पास हो गया. इस बिल के पास होने के बाद यह नागरिकता संशोधन कानून बन गया. इस कानून के विरोध में असम, बंगाल समेत देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए. 15 दिसंबर को इस कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई. इस प्रदर्शन में कई छात्रों समेत पुलिस के कुछ जवान भी घायल हो गए.
जामिया की घटना के अगले दिन 16 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सीलमपुर में जमकर प्रदर्शन हुए. इस प्रदर्शन के दौरान पथराव की घटना हुई. स्कूली बस पर भी पत्थर फेंके गए. इस प्रदर्शन में कुछ प्रदर्शनकारियों समेत पुलिस वाले भी घायल हुए. एक पुलिस चौकी को प्रदर्शनकारियों ने जला दिया. पुलिस ने हालात को काबू में किया और वहां चौकसी बढ़ा दी गई. 17 दिसंबर को देश के दूसरे हिस्सों में भी प्रदर्शन शुरू हो गए.
जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के समर्थन में देश के कई यूनिवर्सिटी में भी प्रदर्शन हुए. कई यूनिवर्सिटी को 5 जनवरी, 2020 के लिए बंद कर दिया गया है और छात्रों से हॉस्टल खाली करा लिया गया. इस कानून के विरोध में दिल्ली के लाल किला पर लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. उधर जामा मस्जिद के इमाम ने कहा है कि इस कानून से देश के मुसलमानों को कोई लेना देना नहीं है. उन्हें नहीं डरना चाहिए. विरोध प्रदर्शन को देखते हुए 19 दिसंबर, 2019 को देश के कई हिस्सों में धारा 144 लागू कर दी गई है.
उधर गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि चाहे जितना भी विरोध हो इस कानून को वापस नहीं लिया जाएगा. उनका कहना है कि यह कानून देश की जनता के लिए नहीं है, यह कानून उन अल्पसंख्यक लोगों के लिए है जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक रूप से प्रताडि़त होकर भारत में शणार्थी के रूप में आए हैं.
(इनपुट भाषा से भी)
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