वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बजट 2022-23 निरंतरता के लिए खड़ा है और कोविड-19 महामारी से जूझ रही अर्थव्यवस्था में स्थिरता लेकर आया है. राज्यसभा में बजट पर अपने जवाब में, सीतारमण ने कहा कि इस साल के बजट का मकसद स्थिर और स्थायी सुधार लाना था क्योंकि महामारी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को सबसे बड़ा नुकसान हुआ. भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 7.3 प्रतिशत की डी-ग्रोथ दर्ज की. चालू वित्त वर्ष 2021-22 में अर्थव्यवस्था के 9.2 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है.
विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "2008-09 के वित्तीय संकट के दौरान मुद्रास्फीति 9.1 प्रतिशत थी, जबकि महामारी के दौरान जब अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव पड़ा था, तब यह 6.2 प्रतिशत थी." उन्होंने यह भी कहा, "पूंजीगत व्यय राजस्व मार्ग की तुलना में बहुत अधिक गुणक देता है. हमने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक पूंजीगत व्यय का चयन किया है."
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वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) को 35.4 प्रतिशत बढ़ाकर ₹7.5 लाख करोड़ कर दिया है. सीतारमण ने कहा, "7.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करने से नौकरियां पैदा होंगी, और रोजगार सृजन 14 क्षेत्रों के लिए उत्पादकता से जुड़ी प्रोत्साहन योजना से 60 लाख नौकरियों तक सीमित नहीं है." उन्होंने आगे कहा, "आने वाले 25 साल भारत के लिए महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि हम इसे अमृत काल कह रहे हैं."
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