Road Transport Budget : ट्रांसपोर्ट सेक्टर से करीब 20 करोड़ लोगों की जीविका प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ी है. करीब दो करोड़ के ट्रक, बसें, टैक्सी, मैक्सी कैब इस परिवहन क्षेत्र से जुड़ी हैं. कोरोनाकाल में तमाम अड़चनों के बावजूद भी सप्लाई चेन कायम रखने में अहम भूमिका निभाने वाले परिवहन क्षेत्र ने सरकार से बजट (Budget 2022) में कई मांगें रखी हैं, इनमें रोड ट्रांसपोर्ट सेक्टर (Road Transport Sector) को विशिष्ट दर्जा देने की मांग सबसे अहम है. 3500 से ज्यादा राज्यों, जिलों और तालुका स्तर की ट्रांसपोर्ट यूनियनों के संगठन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (All India Motor Transport Congress) ने ऐसी ही कई मांगे आम बजट 2022 को लेकर रखी हैं.
मोटर वाहन कानून के दो साल में 8 करोड़ ट्रैफिक चालान, लेकिन सड़क पर सुविधाओं के लिए जूझ रहे यात्री
1. आईटी कानून के सेक्शन 194 सी और 194 एन के तहत सड़क परिवहन क्षेत्र से TDS का खत्म किए जाने की मांग की गई. AIMTC ने जीएसटी (GST) के आने के बाद परिवहन क्षेत्र में 194 सी के तहत टीडीएस को अव्यवहारिक बताया है. संगठन का कहना है कि छोटे ट्रक, बस ऑपरेटरों से टीडीएस के नाम पर लाखों करोड़ों की कटौती होती हैं, जिस पर रिफंड का दावा भी नहीं हो पाता. जिनसे टीडीएस कटौती की जाती है, उन्हें रिटर्न का दावा करने में तीन साल लगते हैं.
2. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस का कहना है कि एपीएमसी (APMC )और सड़क परिवहन का संचालन नकदी पर आधारित है. कृषि उपज विपणन कंपनियों की तरह रोड ट्रांसपोर्ट सेक्टर को भी एक करोड़ रुपये से अधिक की सालाना नकद निकासी पर 2% टीडीएस से छूट दी जानी चाहिए.
3.आईटी ऐक्ट की धारा 44AE के तहत अनुमानित आयकर को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए. अनुमानित आयकर अव्यावहारिक और तर्कहीन है. यह सकल वाहन भार पर आधारित है जबकि इसको वाहन की लदान क्षमता पर होना चाहिए. वाहनों की क्षमता के लिए इसे 100 से 633% तक बढ़ा दिया गया है, जो वास्तविकता से परे है,
4. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस का कहना है कि सामान की ढुलाई करने वाले (गुड्स कैरिंग वहिकल्स और पैसेंजर कमर्शियल वहिकल पर थर्ड पार्टी प्रीमियम पर जीएसटी को जीरो करना चाहिए.
5. 75 फीसदी से ज्यादा बस-ट्रक ऑपरेटरों के पास 1 से अधिकतम 5 फीसदी वाहन ही हैं, लेकिन कोरोना काल में स्कूल-कॉलेज बंद होने, आर्थिक गतिविधियों में कमी से उन पर बुरी मार पड़ी है. दो साल बाद भी उन्हें कोई राहत पैकेज नहीं दिया गया. लिहाजा ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए भी स्ट्रेस फंड का ऐलान बजट में किया जाना जरूरी है.
6. वाहनों के कलपुर्जों पर भी टैक्स को घटाया जाना चाहिए ताकि परिवहन क्षेत्र में मरम्मत से जुड़े रोजगारों को भी बढ़ावा मिल सके.
7. पुराने वाहनों की स्क्रैप पॉलिसी को लेकर भी परिवहन क्षेत्र के ज्यादातर सुझावों को नजरअंदाज किया गया है, लिहाजा नई कबाड़ नीति से प्रभावित ऑपरेटरों को मदद दी जाए. उनके लिए बीमा-फंड और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ सुनिश्चित किए जाएं.
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