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This Article is From Mar 27, 2022

'मैं कांशीराम की शिष्या हूं...' : राष्ट्रपति बनाने के प्रस्ताव के बदले BJP की 'मदद' के आरोप पर बोलीं मायावती

मायावती ने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस ने उनके समर्थकों को गुमराह करने के लिए यह झूठा प्रचार किया था कि अगर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीतने दिया जाएगा, तो बहनजी को राष्ट्रपति बनाया जाएगा.

'मैं कांशीराम की शिष्या हूं...' : राष्ट्रपति बनाने के प्रस्ताव के बदले BJP की 'मदद' के आरोप पर बोलीं मायावती
UP assembly elections में मायावती की पार्टी बीएसपी का खराब प्रदर्शन.
लखनऊ:

यूपी विधानसभा चुनाव (UP assembly elections 2022 ) में बीजेपी (BJP) की मदद करने के आरोपों और उसके बदले उन्हें राष्ट्रपति बनाने के प्रस्ताव से जुड़े दावों पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.  बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती (BSP supremo Mayawati) ने रविवार को एक कार्यक्रम में इन आरोपों का जवाब दिया. मायावती ने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस ने उनके समर्थकों को गुमराह करने के लिए यह झूठा प्रचार किया था कि अगर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीतने दिया जाएगा, तो बहनजी को राष्ट्रपति बनाया जाएगा. युपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने यह भी साफ कर दिया कि वह किसी भी पार्टी से इस तरह के प्रस्ताव को कभी स्वीकार नहीं करेंगी.

विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने पहली बार पार्टी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और पूर्व प्रत्याशियों की समीक्षा बैठक को संबोधित किया. उन्होंने कहा इस चुनाव में बसपा को कमजोर करने के लिए बीजेपी ने एक सोची समझी साजिश के तहत काम किया. मायावती ने चुनाव में हार का कारण बताते हुए कहा, बीजेपी ने अपने संगठन राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के जरिये हमारे लोगों में यह गलत प्रचार कराया कि यूपी में बसपा की सरकार नहीं बनने पर हम आपकी बहन जी को देश का राष्ट्रपति बनवा देंगे, इसलिए आपको भाजपा को सत्ता में आने देना चाहिए. उन्‍होंने कहा, राष्ट्रपति बनना तो बहुत दूर की बात है, वह इस बारे में सपने में भी नहीं सोच सकतीं.

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बसपा प्रमुख ने कहा कि इनको यह भी मालूम है कि बहुत पहले ही कांशीराम ने उनका यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था और मैं तो उनके पदचिह्नों पर चलने वाली उनकी मजबूत शिष्‍या हूं.उन्‍होंने कहा कि जब कांशीराम ने यह पद स्वीकार नहीं किया, तो भला फिर वह कैसे यह पद स्वीकार कर सकती हैं। उन्होंने दावा किया कि वह अपनी पार्टी और आंदोलन के हित में कभी भी बीजेपी या अन्य किसी पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद स्वीकार नहीं कर सकती. मायावती ने कहा कि अब मेरा जीवन ही संघर्ष है और संघर्ष ही मेरा जीवन है, अर्थात अब मेरी जिंदगी का एक-एक पल पूरे देश में अपनी पार्टी को हर स्तर पर मजबूत बनाने पर ही लगेगा. बसपा अध्यक्ष ने अति पिछड़े वर्गों, मुस्लिम व अन्‍य धार्मिक अल्पसंख्यकों तथा अगड़ी जातियों के गरीब और पीड़ित लोगों को भी जोड़ने पर जोर दिया.

मायावती ने कहा कि मुस्लिम समाज का एकतरफा वोट लेकर और दर्जनभर दलों व संगठनों के गठबंधन से चुनाव लड़ने के बावजूद सपा सत्ता में आने से काफी दूर रह गई. ऐसे में सपा कभी भी सत्ता में वापस नहीं आ सकती है और ना ही यह पार्टी भाजपा को सत्ता में आने से रोक सकती है. अब मुस्लिम समाज के लोग सपा को वोट देकर पछता रहे हैं. मुसलमानों की कमजोरी का सपा बार-बार फायदा उठा रही है, इसलिए दिशाहीन लोगों को सपा के शिकंजे से बाहर निकाल कर अपनी पार्टी में पुन: वापस लाने का प्रयास करना है.

चुनाव की मतगणना 10 मार्च को हुई और प्रदेश की 403 सीट में बसपा को मात्र एक सीट पर जीत मिली. पिछले वर्ष 2017 के चुनाव में बसपा ने केवल 19 सीट पर जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार चुनाव आने तक पार्टी के ज्यादातर विधायक समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. वर्ष 2007 में मायावती के नेतृत्व में उत्‍तर प्रदेश में बहुमत की सरकार बनाने वाली बसपा के लिए इस बार का चुनाव परिणाम बेहद निराशा जनक रहा है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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