जहां एक तरफ पूरी दुनिया में कोरोनावायरस (Coronavirus) का कहर जारी है. वहीं दूसरी तरफ 13,500 फ़ीट की ऊंचाई पर रोहतांग पास को बॉर्डर रॉड्स आर्गेनाईजेशन (BRO) ने बर्फ को साफ कर सड़क को आम नागरिक के लिये खोल दिया है. कोरोना महामारी के वावजूद बीआरओ ने ये काम पिछले साल की तुलना में तीन सप्ताह पहले ही खत्म कर दिया. आपको बता दें कि यह देश के बाकी हिस्सों से हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले को जोड़ने वाली धमनी सड़क है. बता दें कि यह पास पिछले साल 18 मई को खोला गया था. हिमाचल प्रदेश सरकार ने बीआरओ से बर्फ साफ करने में तेजी लाने और किसानों को खेती शुरू करने और आवश्यक आपूर्ति की आवाजाही के लिए सुविधा प्रदान करने और COVID -19 के मद्देनजर लाहौल घाटी में राहत सामग्री पहुंचाने के लिए संपर्क किया था.
बीआरओ ने मनाली और खोखसर दोनों तरफ से खोलने के लिये हाई-टेक मशीनरी को शामिल किया. बर्फ़ के बर्फ़ीले तूफ़ान, सर्द तापमान और रानी नाले में हिमस्खलन का लगातार चलना काम मे रुकावट पैदा कर रहा था , लेकिन लाहौल घाटी के निवासियों को राहत प्रदान करने के लिए सभी COVID-19 सावधानियों के साथ बर्फ निकासी टीमें दिन-रात काम करती रहीं.
बीआरओ द्वारा निर्देशित इस प्रकार आधिकारिक रूप से रोहतांग दर्रे को खोलने के लिए आवश्यक आपूर्ति करने वाले वाहनों का पहला काफिला और लगभग 150 किसान आज लाहुल घाटी में चले गए. रोहतांग दर्रे को पिछले सप्ताह की तुलना में तीन सप्ताह पहले यातायात के लिए खोलने की खबर से स्थानीय लोगों ने राहत कि सांस ली है. यह केंद्र और राज्य सरकारों को स्थानीय आबादी के लिए आवश्यक राहत सामग्री और चिकित्सा आपूर्ति लाने की सुविधा प्रदान करेगा. साथ ही जिले की रीढ़ कहे जाने वाले कृषि गतिविधियाँ को भी बढ़ावा मिलेगा.
दर्रे के खुलने के लिए हर साल स्नो क्लियरेंस ऑपरेशन किया जाता है. क्योंकि दर्रा लगभग छह महीने तक यानी नवंबर से मई तक बर्फ से घिरा रहता है. इसे 12 दिसंबर, 2019 तक खुला रखा गया था. पूरी घाटी सर्दियों के दौरान किसी भी बाहरी रसद / आपूर्ति के लिए हवाई रखरखाव पर निर्भर रहती है.
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