कोहिनूर हीरा 'टॉवर ऑफ लंदन' में प्रदर्शनी के लिए रखा है
नई दिल्ली:
राज्यसभा में मंगलवार को सांसदों ने कोहिनूर हीरे की देश में वापसी का मुद्दा उठाया, जिसका समर्थन खुद उप सभापति पीजे कुरियन ने किया। शून्यकाल में बीजेडी सांसद भूपिंदर सिंह ने कहा कि ब्रिटेन से कोहिनूर हीरे को वापस लाकर पुरी के जगन्नाथ मंदिर में लगाया जाना चाहिए, क्योंकि महाराजा रणजीत सिंह की यही इच्छा थी।
'रणजीत सिंह के वंशजों ने स्वेच्छा से कोहिनूर नहीं दिया था'
सिंह ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह ने यह मांग इसलिए की थी क्योंकि खुद गुरु नानकदेव ने पुरी की यात्रा कर भगवान जगन्नाथ पर आरती लिखी थी, जो गुरु ग्रंथ साहिब में है। बीजेडी सांसद ने कहा कि यह कहना एकदम गलत है कि महाराजा रणजीत सिंह के वंशजों ने ईसाई धर्म अपना लिया था और स्वेच्छा से हीरा ब्रिटेन को दे दिया था।
'कोहिनूर देश में लौटेगा को हर कोई खुश होगा'
भूपिंदर सिंह की मांग का कई सांसदों ने समर्थन किया। उप सभापति पीजे कुरियन ने कहा कि कोहिनूर हीरा अगर देश में लौटेगा तो हर किसी को खुशी होगी। केंद्र ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि महाराजा रणजीत सिंह के वंशजों ने 105 कैरेट का कोहिनूर हीरा एंग्लो-सिख सिख युद्ध के खर्च की भरपाई के लिए 'स्वैच्छिक मुआवजे' के तौर पर ब्रिटेन को दे दिया था। यह हीरा 'टॉवर ऑफ लंदन' में प्रदर्शनी के लिए रखा है।
हाल ही में सरकार ने कोहिनूर को वापस लाए जाने के प्रयासों की जानकारी देने से इनकार कर दिया था। समाचार एजेंसी पीटीआई की ओर से दायर याचिका में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कहा था कि मामला अदालत में विचाराधीन होने के कारण इसकी जानकारी नहीं जा सकती।
'रणजीत सिंह के वंशजों ने स्वेच्छा से कोहिनूर नहीं दिया था'
सिंह ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह ने यह मांग इसलिए की थी क्योंकि खुद गुरु नानकदेव ने पुरी की यात्रा कर भगवान जगन्नाथ पर आरती लिखी थी, जो गुरु ग्रंथ साहिब में है। बीजेडी सांसद ने कहा कि यह कहना एकदम गलत है कि महाराजा रणजीत सिंह के वंशजों ने ईसाई धर्म अपना लिया था और स्वेच्छा से हीरा ब्रिटेन को दे दिया था।
'कोहिनूर देश में लौटेगा को हर कोई खुश होगा'
भूपिंदर सिंह की मांग का कई सांसदों ने समर्थन किया। उप सभापति पीजे कुरियन ने कहा कि कोहिनूर हीरा अगर देश में लौटेगा तो हर किसी को खुशी होगी। केंद्र ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि महाराजा रणजीत सिंह के वंशजों ने 105 कैरेट का कोहिनूर हीरा एंग्लो-सिख सिख युद्ध के खर्च की भरपाई के लिए 'स्वैच्छिक मुआवजे' के तौर पर ब्रिटेन को दे दिया था। यह हीरा 'टॉवर ऑफ लंदन' में प्रदर्शनी के लिए रखा है।
हाल ही में सरकार ने कोहिनूर को वापस लाए जाने के प्रयासों की जानकारी देने से इनकार कर दिया था। समाचार एजेंसी पीटीआई की ओर से दायर याचिका में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कहा था कि मामला अदालत में विचाराधीन होने के कारण इसकी जानकारी नहीं जा सकती।
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