मणिपुर की 'लौह महिला' के नाम से मशहूर इरोम चानू शर्मिला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वह 'दमनकारी' सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) हटाकर 14 साल से जारी उनकी भूख हड़ताल खत्म कराने में मदद करें।
शर्मिला ने मोदी को लिखे एक चिट्ठी में कहा, 'संसद में आपकी कोशिशों से अफ्सपा, 1958 हटाने को लेकर मैं अपनी आजादी के दिन गिन रही हूं। लिहाजा, आप वह सर्वशक्तिमान नेता बनें जो यह कानून हटाकर 14 साल से जारी मेरा अनशन आखिरकार खत्म करा दें।'
चिट्ठी में शर्मिला ने अफसोस जताया, 'अफस्पा, 1958 के तहत मारने की लाइसेंस रखकर भारत सरकार हजारों हत्याएं कर रही है और पिछले कुछ दशकों में कई निर्दोष लोग लापता भी हुए हैं।'
शर्मिला ने सवाल किया कि आखिर संसद देश के बाकी हिस्सों की तुलना में पूर्वोत्तर को एक अशांत क्षेत्र घोषित कर उससे अलग तरह का सलूक क्यों करती है और 'सशस्त्र बलों के साथ हवलदार रैंक के कर्मी को भी किसी के उग्रवादी होने के संदेह के आधार पर उसकी हत्या करने, उसे प्रताड़ित करने या उससे बलात्कार करने की इजाजत कैसे देती है।' शर्मिला ने कहा कि 'ऐसी मानसिकता' ज्यादा से ज्यादा उग्रवादी तत्वों के पैदा होने में मददगार रही हैं।
उन्होंने पत्र में मोदी से अनुरोध किया, 'कृपया हमें इंसान होने के बुनियादी अधिकार मुहैया कराएं ताकि हम आत्मसम्मान और गरिमा से जी सकें।' शर्मिला ने खुद को एक युवा महिला बताते हुए संविधान के तहत जीवन के अधिकार की मांग की।
शर्मिला ने प्रधानमंत्री का ध्यान इस ओर भी दिलाया कि अशांत क्षेत्र का दर्जा दिए जाने से पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन उद्योग प्रभावित हुआ है।
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