फाइल फोटो
नई दिल्ली:
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 'मिस्टर क्लीन' की छवि पर धब्बा लगाने वाले बहुचर्चित बोफोर्स घोटाले को लेकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि कोई घोटाला नहीं बल्कि महज मीडिया ट्रायल करार दिया है। राष्ट्रपति ने अपने स्वीडन दौरे से पहले एक स्वीडिश अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि अभी तक किसी कोर्ट ने इस मामले पर अपना फ़ैसला नहीं दिया है, लेकिन इसे मीडिया के जरिए प्रचार खूब मिला।
उन्होंने कहा, 'बोफोर्स घोटाले के बाद मैं कई दिनों तक रक्षा मंत्री रहा था, और सभी जर्नल्स ने यह माना था कि हमारे पास उपलब्ध यह सबसे बढ़िया गन हैं। यहां तक कि आज की तारीख में भी भारतीय सेना इसका उपयोग कर रही है।'
राष्ट्रपति ने इंटरव्यू में साथ ही कहा कि तथाकथित बोफोर्स घोटाला केवल मीडिया के दिमाग की उपज थी और हकीकत में ऐसा कोई घोटाला हुआ ही नहीं। मुखर्जी ने कहा कि मीडिया में इस घोटाले का ट्रायल हुआ और मीडिया ने ही निर्णय भी दे दिया। यह पूछे जाने पर कि तब क्या यह एक मीडिया स्कैंडल था, राष्ट्रपति ने कहा कि मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं और यह शब्द तो आप ही इस्तेमाल कर रहे हैं।
दरअसल साल 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार के दौरान स्वीडिश हथियार कंपनी बोफोर्स के साथ 285 मिलियन डॉलर की हथियारों की डील की थी। इसके बाद आरोप लगे थे कि इस सौदे के लिए कई नेताओं और अधिकारियों को रिश्वत दी गई।
वहीं राष्ट्रपति के इस बयान पर जब रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पूछा गया तो उन्होंने कहा बोफोर्स की तोपें 'अच्छी' हैं। हालांकि उन्होंने राष्ट्रपति मुखर्जी के बयान पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
पर्रिकर ने पत्रकारों से कहा, 'मैं बस इतना प्रमाणित कर सकता हूं कि बोफोर्स तोपें अच्छी हैं। मैं राष्ट्रपति के बयान पर कोई बयान नहीं देता। अगर आप बोफोर्स तोपों की गुणवत्ता के बारे में पूछेंगे तो वे अच्छी हैं।'
उन्होंने कहा, 'बोफोर्स घोटाले के बाद मैं कई दिनों तक रक्षा मंत्री रहा था, और सभी जर्नल्स ने यह माना था कि हमारे पास उपलब्ध यह सबसे बढ़िया गन हैं। यहां तक कि आज की तारीख में भी भारतीय सेना इसका उपयोग कर रही है।'
राष्ट्रपति ने इंटरव्यू में साथ ही कहा कि तथाकथित बोफोर्स घोटाला केवल मीडिया के दिमाग की उपज थी और हकीकत में ऐसा कोई घोटाला हुआ ही नहीं। मुखर्जी ने कहा कि मीडिया में इस घोटाले का ट्रायल हुआ और मीडिया ने ही निर्णय भी दे दिया। यह पूछे जाने पर कि तब क्या यह एक मीडिया स्कैंडल था, राष्ट्रपति ने कहा कि मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं और यह शब्द तो आप ही इस्तेमाल कर रहे हैं।
दरअसल साल 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार के दौरान स्वीडिश हथियार कंपनी बोफोर्स के साथ 285 मिलियन डॉलर की हथियारों की डील की थी। इसके बाद आरोप लगे थे कि इस सौदे के लिए कई नेताओं और अधिकारियों को रिश्वत दी गई।
वहीं राष्ट्रपति के इस बयान पर जब रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पूछा गया तो उन्होंने कहा बोफोर्स की तोपें 'अच्छी' हैं। हालांकि उन्होंने राष्ट्रपति मुखर्जी के बयान पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
पर्रिकर ने पत्रकारों से कहा, 'मैं बस इतना प्रमाणित कर सकता हूं कि बोफोर्स तोपें अच्छी हैं। मैं राष्ट्रपति के बयान पर कोई बयान नहीं देता। अगर आप बोफोर्स तोपों की गुणवत्ता के बारे में पूछेंगे तो वे अच्छी हैं।'
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