मुंबई:
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने गुरुवार को बंबई उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उसने जांच में पाया है अभिनेता शाहरुख खान और उनकी पत्नी गौरी पर अपने सरोगेट बेटे अबराम का जन्म से पहले लिंग परीक्षण कराने के संबंध में लगाए गए आरोप निराधार हैं।
न्यायमूर्ति साधना जाधव सामाजिक कार्यकर्ता वर्षा देशपांडे की याचिका पर विचार कर रहीं थीं। उन्होंने मजिस्ट्रेट अदालत में शाहरुख और गौरी के साथ-साथ अन्य के खिलाफ प्रसव पूर्व निदान-तकनीक (विनियमन और दुरुपयोग निवारण) अधिनियम के तहत दायर अपनी शिकायत पर शीघ्र सुनवाई किए जाने का निर्देश देने की मांग को लेकर याचिका दायर की है।
देशपांडे के अनुसार मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 8 अगस्त को प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया था और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 सितंबर निर्धारित की थी।
असंतुष्ट देशपांडे ने जल्द मामले पर सुनवाई और मामले के निस्तारण के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
बीएमसी के वकील एमपीएस राव ने गुरुवार को उच्च न्यायालय से कहा कि शिकायत में लगाए गए आरोप निराधार हैं। राव ने कहा, ‘निगम ने जांच की है और शिकायत को निराधार पाया है।’
अदालत को सूचित किया गया कि मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष शिकायत सुनवाई के लिए या तो आज या अगले हफ्ते आएगी। इसके बाद न्यायमूर्ति जाधव ने याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
अदालत ने आज इस बात पर भी गौर किया कि याचिकाकर्ता ने सिर्फ समाचार पत्र रिपोर्ट के आधार पर याचिका दायर की है। देशपांडे ने अपनी शिकायत पर इस आधार पर शीघ्र सुनवाई की मांग की थी कि उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि पीसीपीएनडीटी अधिनियम के तहत सभी मामलों पर सुनवाई और फैसला छह महीने के भीतर होना चाहिए।
इससे पहले, उच्च न्यायालय ने जसलोक अस्पताल को नोटिस जारी किया था और उसके चिकित्सक फिरुजा पारीख को नोटिस जारी किया था, जहां उनके सरोगेट बच्चे का जन्म हुआ था।
देशपांडे ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि बच्चे के लिंग का पता जन्म से पहले लगाया गया, जिसके जरिये अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन किया गया।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि नगर निकाय के अधिकारी दंपती के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहे और इसलिए उन्होंने नयी शिकायत के साथ मजिस्ट्रेट अदालत का दरवाजा खटखटाया।
इससे पहले, 47 वर्षीय अभिनेता ने अपने तीसरे बच्चे का जन्म से पहले लिंग परीक्षण कराने के आरोपों को खारिज कर दिया था। दंपती की पहले ही दो संतान-आर्यन और सुहाना हैं।
न्यायमूर्ति साधना जाधव सामाजिक कार्यकर्ता वर्षा देशपांडे की याचिका पर विचार कर रहीं थीं। उन्होंने मजिस्ट्रेट अदालत में शाहरुख और गौरी के साथ-साथ अन्य के खिलाफ प्रसव पूर्व निदान-तकनीक (विनियमन और दुरुपयोग निवारण) अधिनियम के तहत दायर अपनी शिकायत पर शीघ्र सुनवाई किए जाने का निर्देश देने की मांग को लेकर याचिका दायर की है।
देशपांडे के अनुसार मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 8 अगस्त को प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया था और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 सितंबर निर्धारित की थी।
असंतुष्ट देशपांडे ने जल्द मामले पर सुनवाई और मामले के निस्तारण के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
बीएमसी के वकील एमपीएस राव ने गुरुवार को उच्च न्यायालय से कहा कि शिकायत में लगाए गए आरोप निराधार हैं। राव ने कहा, ‘निगम ने जांच की है और शिकायत को निराधार पाया है।’
अदालत को सूचित किया गया कि मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष शिकायत सुनवाई के लिए या तो आज या अगले हफ्ते आएगी। इसके बाद न्यायमूर्ति जाधव ने याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
अदालत ने आज इस बात पर भी गौर किया कि याचिकाकर्ता ने सिर्फ समाचार पत्र रिपोर्ट के आधार पर याचिका दायर की है। देशपांडे ने अपनी शिकायत पर इस आधार पर शीघ्र सुनवाई की मांग की थी कि उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि पीसीपीएनडीटी अधिनियम के तहत सभी मामलों पर सुनवाई और फैसला छह महीने के भीतर होना चाहिए।
इससे पहले, उच्च न्यायालय ने जसलोक अस्पताल को नोटिस जारी किया था और उसके चिकित्सक फिरुजा पारीख को नोटिस जारी किया था, जहां उनके सरोगेट बच्चे का जन्म हुआ था।
देशपांडे ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि बच्चे के लिंग का पता जन्म से पहले लगाया गया, जिसके जरिये अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन किया गया।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि नगर निकाय के अधिकारी दंपती के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहे और इसलिए उन्होंने नयी शिकायत के साथ मजिस्ट्रेट अदालत का दरवाजा खटखटाया।
इससे पहले, 47 वर्षीय अभिनेता ने अपने तीसरे बच्चे का जन्म से पहले लिंग परीक्षण कराने के आरोपों को खारिज कर दिया था। दंपती की पहले ही दो संतान-आर्यन और सुहाना हैं।
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