13 विपक्षी दलों के संयुक्त बयान के जवाब में शनिवार को देर रात भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कड़ी प्रतिक्रिया ही और आरोप लगाया कि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल शवों पर ‘‘गिद्ध राजनीति'' करते हैं और वे केवल समाज में सौहार्द्र बिगाड़ना चाहते हैं. बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विपक्ष द्वारा निशाना साधे जाने की तुलना आसमान की ओर कीचड़ उछालने से की है. विपक्ष ने संयुक्त बयान में प्रधानमंत्री की ‘‘चुप्पी'' के लिए उन पर भी निशाना साधा था.
भाटिया ने राजस्थान में करौली हिंसा को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से सवाल किया और आरोप लगाया कि उनकी पार्टी की तुष्टिकरण की राजनीति के कारण दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी दंगाइयों के साथ खड़े हैं और स्थिति को भड़काने की कोशिश करते हैं.
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भाजपा ने पश्चिम बंगाल, (जहां तृणमूल कांग्रेस की सरकार है और संयुक्त बयान का हिस्सा है) में आगजनी और सांप्रदायिक हिंसा का हवाला देते हुए विपक्षी नेताओं पर दोहरेपन का आरोप लगाया है. भाटिया ने संयुक्त बयान की अपील पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस और अन्य दल आगजनी करते हैं और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ते हैं चाहे वे सत्ता में हों या विपक्ष में.
कांग्रेस सहित 13 विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान जारी कर लोगों से देश के विभिन्न हिस्सों में हाल ही में हुई हिंसा की घटनाओं के मद्देनजर शांति और सद्भाव बनाए रखने का आह्वान किया था.
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भाटिया ने कहा, "पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर हिंसा हो रही है. इस तरह के दोहरेपन से पता चलता है कि कांग्रेस सहित विपक्षी दल, चाहे वे सत्ता में हों या विपक्ष में, आगजनी में शामिल होने के साथ-साथ सद्भाव को बाधित करने के लिए भी जिम्मेदार हैं."
यह दावा करते हुए कि विपक्षी दलों की कार्रवाई उनके संयुक्त बयान में कही गई बातों के विपरीत है, भाजपा नेता ने उन पर "तुष्टिकरण की राजनीति" करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "संयुक्त बयान फर्जी है. करौली हिंसा में मुख्य आरोपी मतलुब अहमद को पकड़ने में नाकाम रहे अशोक गहलोत (राजस्थान के सीएम) पर सोनिया गांधी (कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष) क्यों चुप हैं? लोग सवाल कर रहे हैं कि आरोपी 14 दिनों से क्यों फरार है? आपकी अपील दंगाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करता है लेकिन करौली में ऐसा नहीं हो रहा है? क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि आप तुष्टिकरण की राजनीति करना चाहते हैं? आपकी कार्रवाई संयुक्त बयान में इस्तेमाल किए गए शब्दों के विपरीत है."
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का उदाहरण देते हुए, जिन्होंने खरगोन प्रशासन को रामनवमी के अवसर पर भड़की हिंसा में अभियुक्तों की अवैध इमारतों को ध्वस्त करने का आदेश दिया, भाटिया ने इस कार्रवाई को "घृणा का बुलडोजर" कहने पर राहुल गांधी पर भी निशाना साधा.
उन्होंने कहा, "आप उस राज्य में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं जहां आप सत्ता में हैं. मध्य प्रदेश में जहां आप विपक्ष में हैं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सख्त कार्रवाई की है. आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है. उनकी अवैध संपत्तियों को (बुलडोजर से) ध्वस्त कर दिया गया है. राहुल गांधी इसे नफरत का बुलडोजर बता रहे हैं. ऐसा कहकर आप दंगाइयों के साथ खड़े हैं और वर्दीधारी पुलिसकर्मियों का मनोबल तोड़ रहे हैं."
गौरतलब है कि रामनवमी के जुलूस के दौरान दो गुटों के बीच हुए पथराव में कई लोग घायल हो गए थे. इस बीच कांग्रेस ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए ट्वीट किया, "हम उन जहरीली विचारधाराओं का मुकाबला करने और उनका सामना करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं जो हमारे समाज में विभाजन को स्थापित करने का प्रयास कर रही हैं."
देश में "अभद्र भाषा की बढ़ती घटनाओं और हाल ही में सांप्रदायिक हिंसा के प्रकोप" पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, 13 विपक्षी दलों के नेताओं ने शनिवार को एक संयुक्त बयान में लोगों से सांप्रदायिक हिंसा के अपराधियों के खिलाफ कड़ी सजा की मांग करते हुए शांति और सद्भाव बनाए रखने का आग्रह किया.
सोनिया गांधी (कांग्रेस), शरद पवार (एनसीपी), ममता बनर्जी (टीएमसी), एम के स्टालिन (डीएमके), सीताराम येचुरी सीपीआई (एम), फारूक अब्दुल्ला (एनसी), तेजस्वी यादव (राजद), डी राजा (सीपीआई) देबब्रत विश्वास (फॉरवर्ड ब्लॉक), मनोज भट्टाचार्य (आरएसपी), पीके कुन्हालीकुट्टी (आईयूएमएल) और भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य ने शनिवार को संयुक्त बयान जारी किया.
इन 13 नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांप्रदायिक हिंसा पर चुप्पी साधे हुए हैं और उन लोगों के शब्दों और कार्यों के खिलाफ बोलने में विफल रहे हैं जो कट्टरता का प्रचार करते हैं और जो अपने शब्दों और कार्यों से समाज में उकसावे और भड़कावे का काम करते हैं.
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