मध्य प्रदेश में नई सरकार ने एक सर्कुलर जारी करते हुए मीसाबंदियो को दी जाने वाली पेंशन पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया है. इस पेंशन को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया गया है.सरकार ने बैंकों को भी इससे संबंधित निर्देश दे दिए हैं. बता दें कि मीसाबंदी पेंशन को लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि के नाम से भी जाना जाता है. सर्कुलर के मुताबिक सरकार का मानना है कि लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि भुगतान की मौजूदा प्रक्रिया को और अधिक सटीक और पारदर्शी बनाए जाने की जरूरत है. साथ ही लोकतंत्र सैनिकों का वेरिफिकेशन कराया जाना भी जरूरी है. सरकार के इस फैसले का बीजेपी ने विरोध किया है.
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प्रदेश बीजेपी महासचिव विष्णु दत्त शर्मा ने मीसाबंदियों की पेंशन बंद करने के कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा, हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे. वहीं केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने कमलनाथ सरकार के इस फैसले को हजारों लोकतंत्र सेनानियों के साथ अन्याय बताया है. उन्होंने कहा कि सम्मान निधि दिए जाने की योजना मध्य प्रदेश के अलावा यूपी, बिहार जैसे अन्य प्रदेशों में भी लागू है. उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश विधानसभा ने विधेयक पास करके लोकतंत्र सेनानियों को मिसा बंदी सम्मान निधि दी जाने की व्यवस्था की गई थी, आज कांग्रेस द्वारा बिना विधानसभा की स्वीकृती के इसे बंद करने का निर्णय लेना सर्वदा गलत हैं.
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बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान साल 1975 से 1977 के बीच लगी इमरजेंसी में जेल में डाले गए लोगों को मीसाबंदी पेंशन योजना के तहत मध्य प्रदेश में करीब 4000 लोगों को 25,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाती है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने साल 2008 में इस योजना की शुरुआत की थी.
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