
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर पिछले कई दिनों से बने गतिरोध के बाद भाजपा और शिवसेना का 25 साल पुराना गठबंधन आखिर गुरुवार को टूट गया।
महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष देवेन्द्र फडनवीस ने मुंबई में इस बात की घोषणा करते हुए कहा, 'हमने शिवसेना को अपने निर्णय की जानकारी दे दी है।' फडनवीस ने इस निर्णय के लिए सीटों के बंटवारे के मामले में शिवसेना के 'अडियल' रवैये को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा, 'महायुति (महाराष्ट्र में गठबंधन) शिवसेना के बिना चुनाव लड़ेगी और हम चुनाव प्रचार के दौरान शिवसेना की आलोचना नहीं करेंगे। हम मित्र बने रहेंगे।' इससे पहले महाराष्ट्र में 25 साल से चले आ रहे भाजपा-शिवसेना गठबंधन को टूट से बचाने के अंतिम प्रयास के तौर पर आज शाम दोनों दलों के नेताओं की एक बैठक की गई, लेकिन शिवसेना के 'अडियल' रुख के चलते भाजपा के वार्ताकार फड़नवीस और विधान परिषद में विपक्ष के नेता विनोद तावडे बैठक के बीच से उठ कर बाहर आ गए।
इस पर शिवसेना के नेताओं ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह 'संबंध तोड़ने की जल्दी में है'।
महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव 15 अक्तूबर को होने हैं और नामांकन पत्र भरने की अंतिम तारीख में दो दिन ही बचे हैं।
फड़नवीस और तावडे ने कहा कि शिवसेना ने जो प्रस्ताव रखा है वह गठबंधन के अनुरूप नहीं था। फडनवीस ने बैठक से बाहर आकर संवाददाताओं से कहा, 'शिवसेना की ओर से हमें कई प्रस्ताव मिले लेकिन उनमें से कोई भी भाजपा या अन्य सहयोगी दलों को समाहित करने वाला नहीं था।'
भाजपा के महासचिव और महाराष्ट्र के प्रभारी राजीव प्रताप रूड़ी ने गठबंधन टूटने को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि समय की बाधाओं और शिवसेना के अड़ियल रवैये के कारण पार्टी को चुनाव में अकेले जाने का फैसला करने को विवश होना पड़ा।
उन्होंने कहा, 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें 25 वषरें के सफर के बाद अलग होना पड़ा। हमने पिछले 25 वषरें में शिवसेना के साथ बहुत उतार-चढ़ाव देखे तथा हमने इनका बहादुरी के साथ सामना किया।'
रूड़ी ने कहा कि अगर नामांकन के लिए और अधिक समय बचा रहता तो मित्रतापूर्ण समाधान के लिए बातचीत आगे चलती, लेकिन समय संबंधी बाधाओं और शिवसेना के अड़ियल रवैये से अलग होने के लिए विवश होना पड़ा।
उन्होंने कहा, 'न चाहते हुए हमें अलग होना पड़ा क्योंकि समय संबंधी बाधा थी। सभी 288 सीटों के लिए नामांकन 27 सितंबर की समयसीमा तक करना है जिसे चुनाव आयोग ने तय किया है।'
रूड़ी ने कहा, 'हम इसको लेकर प्रतिबद्ध हैं कि अगर हम अलग हो रहे हैं तो अपने पुराने साथी के साथ हमारी कोई कड़वाहट नहीं होगी तथा इस चुनाव का मुख्य आधार यही होगा कि प्रदेश को उस राकांपा-कांग्रेस शासन से मुक्ति दिलाई जाए जिसने वषरें तक कुशासन और भ्रष्टाचार किया है।'
दूसरी ओर भाजपा नेताओं से बातचीत के लिए ठाकरे की ओर से भेजे गए शिवसेना के नेताओं दिवाकर राउते और राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई ने कहा, 'भाजपा संबंध समाप्त करने की जल्दबाजी में थी।' राउते ने कहा, 'हम उद्धव ठाकरे द्वारा भेजे गए अंतिम प्रस्ताव पर चर्चा के लिए आए थे। कुछ ही सीटों को लेकर मतभेद थे, लेकिन वे हमें सूचित किए बिना बैठक से चले गए।'
गुस्से में नजर आ रहे राउते ने कहा, भाजपा के इस आचरण का 'हम भी उद्धवजी के जरिये मुंहतोड़ जवाब देंगे।' खबरों के अनुसार एक प्रस्ताव में 288 सदस्यीय विधानसभा की 151 सीटों पर शिवसेना और 127 सीटों पर भाजपा के लड़ने का सुझाव दिया गया था। शेष 10 सीटें गठबंधन के अन्य छोटे दलों को देने का प्रस्ताव था। लेकिन भाजपा ने इसे अस्वीकार कर दिया।
असफल रही अंतिम बैठक के बाद भाजपा के प्रदेश नेता फडनवीस और एकनाथ खड़से ने संवाददाता सम्मेलन करके शिवसेना से गठबंधन टूटने की औपचारिक घोषणा की। भाजपा नेताओं ने कहा कि वह महायुति के छोटे दलों का साथ नहीं छोड़ेगी।
गठबंधन टूटने का ठीकरा शिवसेना के सिर फोड़ते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे की पार्टी ने सीटों के बंटवारे को लेकर कोई लचीलापन नहीं दिखाया।
खड़से ने कहा कि बातचीत के दौरान शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़ी रही।
शिवसेना ने हालांकि मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ने के भाजपा के आरोप से इंकार किया। पार्टी के सांसद आनंदराव अडसूल ने भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने एनसीपी से अंदरखाने में गुप्त समझौता कर लिया है।
गठबंधन टूटने के बावजूद भाजपा ने उम्मीद जताई कि शिवसेना से दोस्ती की भावना बनी रहेगी। खड़से ने कहा, ‘‘हम चुनाव प्रचार के दौरान शिवसेना के विरुद्ध कोई टिप्पणी नहीं करेंगे और उम्मीद है कि शिवसेना भी ऐसा ही करेगी।
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