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This Article is From Apr 16, 2013

कर्नाटक चुनाव के बाद टूट सकता है भाजपा-जदयू का गठबंधन : सूत्र

नई दिल्ली: मोदी को लेकर नीतीश की बयानबाजी को लेकर भाजपा में कितना गुस्सा है, उसका अंदाजा पार्टी के एक पदाधिकारी की बातों से लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार के इस रवैये को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह ठीक उस तरह से है, जैसे कि 1979 में जनता सरकार को गिराने के लिए नीतीश कुमार के सीनियर समाजवादियों ने सांप्रदायिकता का हौवा खड़ा किया था।' गौरतलब है कि साल 1979 में जनता पार्टी के समाजवादी सदस्यों ने जन संघ के नेताओं के रिश्ते आरएसएस से होने का विरोध करते हुए सरकार से किनारा कर लिया था।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि कोर ग्रुप और पार्ल्यामेंटरी बोर्ड 5 मई को कर्नाटक विधानसभा इलेक्शन के बाद बिहार में जदयू से नाता तोड़कर सरकार से हटने के बारे में फैसला कर सकता है। हालांकि, भाजपा के अलग होने से नीतीश कुमार की सरकार को कोई खतरा नहीं होगा। उन्हें 243 सीटों वाली विधानसभा में 120 विधायकों का समर्थन हासिल है। इन हालात में और किसी की सरकार बनने की गुंजाइश नहीं है। ऐसे में इस बात की संभावनाएं ज्यादा होंगी कि जल्द चुनावों से बचने के लिए जदयू को कुछ नए सहयोगी मिल जाएं।

गौरतलब है कि बिहार से आए सीनियर भाजपा नेताओं के ग्रुप ने सोमवार को पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मुलाकात कर नीतीश कुमार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की थी। इनमें बिहार के भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी ठाकुर, स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह और चंद्रमोहन राज शामिल थे।

एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में राजनाथ सिंह ने भी नीतीश के रवैये को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा, 'जो कुछ हुआ, वह नहीं होना चाहिए था।' हालांकि उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि पार्टी ने बिहार में जदयू से अलग होने का फैसला किया है या नहीं।

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