सोनिया गांधी के साथ महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी गठबंधन को लेकर बीजेपी नेताओं की हालत कभी खुशी-कभी गम वाली हो गई है। उसके नेताओं को खुशी उस समय मिलती है जब कोई पीडीपी नेता सरकार बनाने पर बयान देता है तो गम उस समय जब पीडीपी की ओर से कोई ठोस बयान न आए। उसके लिए अब सिर्फ इंतजार करो की स्थिति में ही समय काटने के सिवाय कोई और चारा नहीं बचा है।
भाजपा के सामने अज्ञात शर्तें
बीच बीच में संकेत जरूर मिलते हैं कि पीडीपी सात दिनों के शोक के बाद सरकार का गठन करेगी तो भाजपा की उम्मीदें फिर से जाग उठती हैं। ऐसा भी कहा जा रहा है कि महबूबा मुफ्ती की ओर से भाजपा के समक्ष सरकार बनाने की खातिर चार शर्तें रखी गई हैं। हालांकि इन शर्तों के बारे में पीडीपी की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है। कहा यह भी जा रहा है कि महबूबा 10 महीने पहले हुए गठबंधन से बहुत खुश नहीं हैं। उन्हें लग रहा है कि बीजेपी से गठबंधन करने पर कश्मीरी लोग खुश नहीं हैं।
सोनिया-महबूबा मुलाकात के मायने...
बीजेपी के नेताओं की नींद तब और उड़ गई जब सोनिया गांधी महबूबा से मिलीं। ऐसी खबरें भी आने लगीं कि कहीं पीडीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार तो नहीं बनाएंगे। इन सब खबरों के बावजूद महबूबा की चुप्पी से बीजेपी नेताओं की हालत कभी खुशी-कभी गम वाली हो गई है।